बच्चों, हम लालबहादुर शास्त्रीजी की यह कथा सुनते हैं । इससे पहले हमने उनकी सरल जीवन पद्धति के बारे मे जान लिया था । आज हम उनके जीवन का एक प्रसंग देखते हैं, जिससे हमें प्रेरणा मिलेगी । शास्त्रीजी उनकी सत्यनिष्ठा और प्रामाणिकता के लिए जाने जाते हैं ।
लालबहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे । वे एक ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपने शासनकाल में सत्य की रक्षा की । वे १७-१८ वर्षों तक सरकार में उच्चपदों पर रहे; परंतु उन्होंने स्वयं के लिए अथवा अपने बच्चों के लिए कुछ धन जमा नहीं किया था । उन्होंने सदैव सत्यनिष्ठा और प्रामाणिकता के पथ का अनुसरण किया ।
एक बार शास्त्रीजी की बहन का बेटा शासकीय परीक्षा मे उत्तीर्ण हो गया; परन्तु सफल होनेवाले विद्यार्थियों में उसका नाम अंत में था । जिनका नाम पहले आता है, उनकी ही सरकार की सेवा में पहले नियुक्ति होती है । इस कारण उनके भांजे को नौकरी लगने मेंं कुछ वर्षों का समय लगनेवाला था । शास्त्रीजी स्वयं प्रधानमंत्री थे । यदि उन्होंने कहा होता, तो उनके भांजे की नियुक्ति शीघ्र हो जाती । इसके लिए उनकी बहन ने आग्रह किया; परन्तु उन्होंने सीधा उत्तर दिया, ‘‘सरकार को जब आवश्यकता होगी, नियुक्ति स्वयं ही हो जाएगी ।’’
एक और प्रसंग सुनते हैं । शास्त्रीजी उत्तरप्रदेश राज्य के मंत्री थे उस समय का एक प्रसंग बताती हूं । एक दिन शास्त्रीजी की मौसी का लडका अर्थात उनका मौसेरा भाई एक प्रतियोगिता परीक्षा में बैठा था । परीक्षा के लिए उसे कानपुर से लखनऊ जाना था । वह रेलस्थानक पहुंचा । गाड़ी छूटने वाली थी, इसलिए वह टिकट नहीं खरीद पाया । लखनऊ मे पहुंचने के बाद वह बिना टिकट के पकडा गया । अधिकारियों ने उससे पूछताछ की तो उसने शास्त्री जी का नाम बताकर कहा कि , ‘मेरा भाई राज्य में मंत्री है ।’ अधिकारी ने शास्त्रीजी संपर्क किया । तब शास्त्रीजी ने कहा, ‘‘हां, वह तो मेरा रिश्तेदार है, किन्तु आप नियम का पालन करे ।’’ अर्थात भारत के सभी नागरिकों के लिए सरकार के सभी नियम एक समान होते हैं । जिसका पालन करना, हमारा कर्तव्य होता है ।
आपने कभी सुना अथवा देखा ही होगा कि, सडक पर यदि कोईव्यक्ती लाल बत्ती होने पर भी सिग्नल तोडता है, तो आरक्षक उसे पकड लेते हैं । परंतु यदि किसी व्यक्ति का कोई रिश्तेदार सरकार में ऊंचे पद पर कार्यरत हो, तो वह उसका नाम बताकर दंड से छुटकारा पा लेते हैं । इस प्रकार वह व्यक्ति अपनी गलती छिपाने का प्रयास करता है, जो अप्रामाणिकता होती है । आपको कभी ऐसा होते हुए ध्यान में आए, तो आप ऐसे व्यक्ती को ‘नियम का पालन करना यह कर्तव्य है’, यह बताकर प्रबोधन अवश्य करना ।