संतों की सर्वज्ञता

बच्चों, संत ईश्वर का सगुण रूप होते हैं । इसलिए ईश्वर के सभी गुण उनमें दिखाई देते हैं । संतोंपर श्रद्धा होनेवाले भक्तों को इसकी प्रचीती अनेक बार आती है; परंतु कुछ लोगों को इसपर विश्वास नहीं रहता । विभिन्न घटनाओं से उन्हें इसका भान करवाकर देते है एवं ईश्वर के प्रतिश्रद्धा बढाते है । भगवान श्री दत्तात्रेय के अवतार अक्कलकोट के स्वामी श्रीसमर्थजी ने संत ईश्वर समान सर्वज्ञ होते हैं, इसका भान एक बच्चे को कैसे करवाया, यह हम अभी देखते है।

स्वामी श्रीसमर्थ अपने भक्त श्री. चोळप्पा के आग्रह के कारण उनके घर रहने के लिए गए । एक दिन चोळप्पा के घर उनकी साली आई थी । रात्रि सोते समय उसने अपनी नथ बिस्तरपर रख दी और सो गई । चोळप्पा के भतीजे ने यह देखा । वह प्रतिदिन प्रातः उठकर बगीचे से फूल लाने जाता था । उस दिन बगीचे में जाते समय उसने नथ धीरे से चुरा ली । सुबह उठकर वह स्त्री देखती है, तो नथ नहीं । वह घबरा गई । उसने सभी स्थानोंपर ढूंढा; परंतु नथ नहीं मिली । बडे प्रयत्नों से उसके पति ने वह नथ उसके लिए बनवाया था । अक्कलकोटवासियों के लिए पुलिस, वैद्य, ज्योतिष सभी स्वामी श्रीसमर्थ ही थे । इसलिए अन्यों के समान वह भी स्वामी श्रीसमर्थजी के पास गई और रोते-रोते उसने नथ चोरी होने की बात कही । स्वामी श्रीसमर्थ उसे सांत्वना देते हुए बोले, ‘‘रो मत । शांत हो । यहां बैठो, तुम्हें तुम्हारी नथ मिल जाएगी ।” उस स्त्री ने आंसू पोंछे और वहां बैठ गई । एक घंटा गया । वह पुनः स्वामी श्रीसमर्थजी से प्रार्थना करने लगी । स्वामीजी ने कहा, ‘‘रूक जाओ । तुम्हें तुम्हारी नथ मिल जाएगी । घबराती क्यों हो ?” थोडे समय के उपरांत चोरी करनेवाला बच्चा फूल लेकर मंदिर में गया । उसके उपरांत घर आ गया । उसे देखकर स्वामी श्रीसमर्थ बोले, ‘‘अरे, वह रो रही है । उसकी नथ उसे लौटा दो ।” यह सुनकर वह दंग रह गया; किंतु स्वयं को संभालकर कहने लगा, ‘‘कैसी नथ, मुझे कुछ भी पता नहीं है ।’’ यह सुनकर स्वामी श्रीसमर्थ एकदम क्रोधित हो गए । उंचे स्वर में बोले, ‘‘सुबह बिस्तर से उठाई हुई नथ उसे लौटा दो” । स्वामी श्रीसमर्थ क्रोधित हुए देख लडके ने नथ चुपचाप लौटा दी ।

बच्चों, संत सर्वज्ञ होते है, यह इस कथा से आपके ध्यान में आ ही गया होगा । संतों से कुछ भी छुप नहीं सकता । चोरी करना, झूठ बोलना यह महापाप है । हमें लगता है, ईश्वर को कुछ नहीं पता; परंतु ऐसा नहीं होता । किया हुआ पाप कभी न कभी सामने आ ही जाता है । अतः निरंतर सच्चाई से रहें ।

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