आपने कभी नहाते समय बोला जानेवाला एक मंत्र सुना है ?
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥
इस श्लोक का अर्थ है, हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी नदियों ! मेरे स्नान के इस जल में आप सभी पधारिये और मुझे पवित्र कीजिए ।
यह श्लोक आपने दादा-दादी अथवा नाना-नानी को कहते सुना होगा । यह सभी नदियां हमारे लिए पवित्र हैं । आज हम इनमें से एक वंदनीय गोदावरी नदी की कहानी सुनेंगे ।
भगवान शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंग हमारी पवित्र भारतभूमी पर हैं । इन बारह ज्योतिर्लिंगों में तीसरे स्थान पर आता है, महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के तट पर विराजमान श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग ! यह ज्योतिर्लिंग ब्रह्मगिरी पर्वत के निकट स्थित है और ब्रह्मगिरी पर्वत से ही गोदावरी नदी का उद़्गम होता है ।
भगवान शिवजी के तीन नेत्र होने के कारण उन्हें त्र्यम्बकेश्वर कहा जाता है । यह उस समय की बात है जब महर्षि गौतम पर गौ हत्या का झूठा आरोप लगा था । इस आरोप के कारण महर्षि गौतम ने दूर एक वन में जाकर भगवान शिवजी की आराधना करनी आरम्भ की । महर्षि गौतम का निश्चय इतना दृढ था की उन्होंने धूप, गर्मी, ठंड, बारिश एवं जंगली जीवों का भय न रखते हुए अपनी तपस्या जारी रखी । उन्होंने बडा कठोर तप किया । उनकी भक्ति और कठोर तपस्या के कारण वन का वह भाग जिसे उन्होंने अपनी तपोभूमि बनाया था वहां दिव्य तेज उत्पन्न हो गया । उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और मनोवांछित वर मांगने को कहा । तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ से कहा, ‘‘प्रभु यदि मेरी भक्ति सच्ची है, तो कृपा करके यहां देवी गंगा को नदी के रूप में भेजें । जिससे मुझ पर लगा गौ हत्या का आरोप झूठा साबित हो जाएगा ।’’
तब भगवान शिवजी ने कहा , ‘‘हे ऋषि गौतम, देवी गंगा पहले से ही धरती पर विराजमान है और उन्हें वहां से यहां स्थानांतरित नहीं किया जा सकता । परन्तु देवी गंगा के स्थान पर देवी गोदावरी यहां नदी के रूप में स्वयं विराजमान रहेंगी और उनकी उत्पत्ति ब्रह्मगिरी पर्वत से होगी ।’’ भगवान शिवजी के इतना बोलते ही ब्रह्मगिरी पर्वत से जल की अविरल धारा बहने लगी ।
वहां देवी गोदावरी नदी प्रकट होकर उनके शीतल और पवित्र जल ने नदी का रूप ले लिया । परन्तु महर्षि गौतम तो वहां गंगा को लाना चाहते थे । गंगा नदी के स्थान पर वहां गोदावरी नदी के आनेसे उनपर लगा झूठा आरोप तो मिट गया; परन्तु उनके मन की संतुष्टी नहीं हुई । देवी गोदावरी को गौतम ऋषि की मन की स्थिति समझ में आई । उन्होंने भगवान शिवजी से प्रार्थना की, ‘‘हे शिवजी, आप यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो जाएं ।’’ भगवान शिवजी ने देवी गोदावरी की यह बात सहर्ष स्वीकार कर ली और कहा की आज से यह ज्योतिर्लिंग ‘त्र्यम्बकेश्वर’ के नाम से जाना जाएगा । जो भी मनुष्य सच्चे मन और उचित भावना से गोदावरी नदी में स्नान करने के बाद इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेगा उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी । इसलिए गोदावरी नदी मां गंगा के समान पवित्र है ।
ऋषि गौतम से संबंध जुड जाने के कारण गोदावरी नदी को गौतमी के नाम से भी जाना जाता है । इस नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं, इसलिए इसको ‘वृद्ध गंगा’ और ‘प्राचीन गंगा’ के नाम से भी जाना जाता है । गोदावरी नदी भारत के चार राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ और आंध्रप्रदेश में बहती है ।