१. वाक्यरचना सरल होनी चाहिए
स्वसूचना की वाक्यरचना सरल, संक्षिप्त एवं उचित शब्दों में होनी चाहिए । ‘स्वसूचना पद्धति ३ ( प्रसंग का अभ्यास)’ इस पद्धति में सूचना सामान्यतः ८-१० पंक्तियों में होनी चाहिए ।
२. नकारात्मक शब्दों का उपयोग न करें
सूचना में ‘न, नहीं’ आदि नकारात्मक शब्दों का उपयोग न करें ।
अ. अनुचित सूचना : ‘दूरदर्शन (टीवी) बन्द कर, पढाई करने बैठो’, मां द्वारा ऐसा कहने पर मैं क्रोध नहीं करूंगा ।
आ. उचित सूचना : मां के ‘दूरदर्शन (टीवी) बन्द कर, पढाई करने बैठो’, ऐसा कहनेप र जब मुझे उनपर क्रोध आ रहा होगा, तब मुझे भान होगा कि कुछ दिनों में परीक्षा आरम्भ होने जा रही है, इसलिए मां ऐसा कह रही हैं और मैं शान्ति से दूरदर्शन बन्द कर पढाई करने बैठूंगा ।
३. सूचना जारी वर्तमानकाल में होनी चाहिए
सूचना भूतकाल की नहीं होनी चाहिए । ‘स्वसूचना पद्धति १’ एवं ‘स्वसूचना पद्धति २’ में सूचना वर्तमानकाल में, तथा ‘स्वसूचना पद्धति ३’ में सूचना जारी वर्तमानकाल में होनी चाहिए ।
४. सूचना में अपने विषय में उल्लेख करें
सूचना में अपने विषय में ‘मैं, मेरा, मुझे’ इस प्रकार से उल्लेख करें। उसके लिए ‘हम, हमारे’ इस प्रकार का उल्लेख न करें ।
५. प्रसंग के अनुरूप सटीक सूचना बनाएं
अ. अनुचित सूचना : जब मैं अव्यवस्थित ढंग से क्रिया कर रहा होऊंगा, तब मुझे इसका भान होगा व मैं सुव्यवस्थित ढंग से क्रिया करूंगा।
आ. कुछ उचित सूचनाएं
१. जब मैं अपने बस्ते में बहियां एवं पुस्तक अव्यवस्थित ढंग से भर रहा होऊंगा, तब मुझे उसका भान होगा और मैं एक ओर बही एवं दूसरी ओर पुस्तकें, इस प्रकार व्यवस्थित ढंग से अपना बस्ता भरूंगा ।
२. जब मैं अपनी चप्पलें उतारकर आडी-तिरछी रख रहा होऊंगा, तब मुझे ‘अव्यवस्थितता’ दोष का भान होगा एवं मैं अपनी चप्पलें उतारकरव्यवस्थित रखूंगा ।
६. उचित दृष्टिकोण का समावेश करें
चूक पुनः न हो, इसलिए मन को उचित दृष्टिकोण देना आवश्यक होता है । इसके लिए स्वसूचनाओं में उचित दृष्टिकोण का समावेश करें ।
अ. सर्वसामान्य स्वसूचना : जब मैं अलमारी में कपडे आडे-तिरछे ढंगसे रखूंगा, तब मुझे इसका भान होगा एवं मैं कपडे अच्छेसे मोडकर (तह कर) अलमारी में व्यवस्थित रखूंगा ।
आ. उचित दृष्टिकोणयुक्त स्वसूचना : जब मैं अलमारी में कपडे आडे-तिरछे ढंगसे रख रहा होऊंगा, तब मुझे भान होगा कि ‘मुझे आदर्श बालक बनना है’, और मैं कपडे अच्छेसे मोडकर (तह कर) अलमारी में रखूंगा ।
७. एक स्वसूचना में एक ही दोष का समावेश करें
एक स्वसूचना में एक ही दोष का समावेश करना चाहिए, उदा. किसी विषय की पढाई न करनेके पीछे विद्यार्थी के दो दोष हो सकते हैं ‘एकाग्रता का अभाव’ एवं ‘पढाई की गम्भीरता न होना ।’ ऐसी स्थिति में सूचना बनाते समय इन दो दोषों में से एक दोष लेकर सूचना बनाएं ।
संदर्भ : सनातन-निर्मित ग्रंथ ‘स्वभावदोष दूर कर आनन्दी बनें !’