॥ श्रीगणेशाय नम: ॥
जगदंबिका म्हणे । मालामंत्र नारायणे ।
कथिला जो जगत्कारणे । तो हा सर्वोत्तम असे ॥
ॐ नमो नमो भगवंता । नमोजी श्री स्वामी समर्था ।
स्मरणगामी दत्तनाथा । योगीमुनिजनवंदिता ॥
चिदानंदात्मकात्र्यंबका । विश्वेश्वरा विश्वधारका ।
बालोन्मत्ता पिशाच्चवेषा । महायोगीश्वरा परमहंसा ॥
चित् चैतन्या चिरंतना | अवधूता निरंजना |
जगदाधारा सुदर्शना | सुखधामा सनातना ||
सकलकामप्रदायका | सकलदुरितदाहका |
सकल संचित कर्महरा | सकल संकट विदारा ||
ॐ भवबंधमोचना | ॐ श्री परम ऐश्वर्यघना |
ॐ स्वां स्वहितधर्मचालका | ॐ मां नित्यदायका ||
ॐ संसारचक्र छेदका | ॐ मां महाज्ञानप्रदायका |
ओमर्थं महावैराग्य-साधका | ॐ नं नरजन्मसार्थका ||
ॐ मां महाभयनिवारका | ॐ भक्तजनहृदयनिवासा |
परकृत्या थोपव थोपव | परमंत्रा शांतव शांतव ||
परयंत्रा विखर विखर | ग्रहभूतादिपिशाच्च पीडा हर हर |
दारिद्र्यदु:खा घालव घालव | सुखशांती फुलव फुलव ||
आपदा विपदा मालव मालव | गृहदोष वास्तुदोष |
पितृदोष सर्पदोषादि | सर्वदोषा विरव विरव ||
अहंकारा नासव नासव | मन चित्तबुद्धी स्थिरव स्थिरव |
नमोजी नमो देव महादेव | देवाधिदेव श्री अक्कलकोट
स्वामी समर्थ गुरुदेव ||
नमो नमो नमो नमः || ( सप्तशते सिद्धि: ) ||
॥ हरि ॐ ॥