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हिन्दू धर्म का ‘कन्यादान’,‘कन्यामान’ ही है; ‘मान्यवर’ ब्रांड हिन्दुओं से क्षमा मांगकर विज्ञापन हटाए अन्यथा बहिष्कार !

हिन्दू जनजागृति समिति की ‘मान्यवर’ ब्रांड को चेतावनी

हिन्दू धर्म में ‘विवाह संस्कार’ एक महत्त्वपूर्ण संस्कार माना गया है । साथ ही विवाह विधि में ‘कन्यादान’ एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक विधि है । कन्यादान को सर्वश्रेष्ठ दान माना गया है । ऐसा होते हुए भी हाल ही में ‘वेदांत फैशन्स लिमिटेड’ कंपनी ने अपने ‘मान्यवर’, इस प्रसिद्ध कपडों के ब्रांड का एक विज्ञापन प्रसारित किया है । जिसमें ‘कन्यादान’ किस प्रकार अनुचित है, साथ ही ‘दान करने के लिए कन्या क्या कोई वस्तु है ?’ ऐसा प्रश्‍न उपस्थित कर ‘अब कन्यादान नहीं, तो कन्यामान’ ऐसा परंपरा बदलने का संदेश दिया गया है । यह विज्ञापन हिन्दू धर्म की धार्मिक कृतियों का अनुचित अर्थ बताकर दुष्प्रचार करता है । धार्मिक कृतियों का अपमान और हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करता है । हिन्दू जनजागृति समिति इस विज्ञापन का विरोध करती है । हिन्दू धर्म की ‘कन्यादान’ विधि मूलत: कन्या का सम्मान करनेवाली अर्थात ‘कन्यामान’ ही है । इसलिए ‘वेदांत फैशन्स लिमिटेड’ कंपनी यह विज्ञापन तत्काल हटाकर, हिन्दुओं से बिना शर्त क्षमायाचना मांगे । जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक ‘हिन्दू समाज ‘मान्यवर’ ब्रांड का बहिष्कार करे’, ऐसा हम आवाहन करते हैं । ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने सूचित किया ।

इस विज्ञापन में ऐसा दर्शाया गया है कि ‘कन्यादान’ विधि एक प्रकार से महिलाओं का अपमान है । मूलत: इस विधि के अंतर्गत कन्यादान करते समय वर से वचन लिया जाता है । कन्या को वस्तु के रूप में नहीं दिया जाता, अपितु वधु का पिता वधु का हाथ वर के हाथ में देते हुए कहता है, ‘‘विधाता का मुझे दिया हुआ वरदान, जिसके कारण मेरे कुल में समृद्धि आई, वह तुम्हारे हाथों में सौंप रहा हूं । यह तुम्हारे वंश की वृद्धि करेगी । इसलिए धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों कृतियों में उसकी प्रताडना न करें, उससे एकनिष्ठ रहें और दोनों आनंद से जीवन व्यतीत करें ।’ इस पर ‘नातिचरामि’ कहते हुए वर कहता है, ‘आपको दिए वचन का मैं कभी भी उल्लंघन नहीं करूंगा ।’ इतनी श्रेष्ठ विधि के विषय में तथाकथित आधुनिकतावाद दिखाकर जानबूझकर भ्रम फैलाकर हिन्दू धर्म को अपमानित (बदनाम) करने का प्रयास किया जा रहा है ।

हिन्दू धर्म में स्त्रियों को जितना सम्मान दिया गया है, उतना विश्‍व के किसी भी धर्म में नहीं दिया गया; अपितु कुछ प्रस्थापित धर्मों में तो स्त्री के साथ मानवीय आचरण भी नहीं किया जाता । हिन्दू धर्म में स्त्री को देवी का स्थान दिया गया है । उनकी पूजा की जाती है । बिना पत्नी के धार्मिक विधियां आरंभ ही नहीं की जा सकती । तब भी हिन्दुओं को ही निशाना बनाया जाता है । वर्तमान स्थिति में ‘हलाला’, ‘तीन तलाक’, ‘बहुपत्नीत्व’ जैसी प्रथाएं, साथ ही ‘स्त्री शैतान है’ ऐसा माननेवाली विचारधारा अस्तित्त्व में है । उनके विषय में विज्ञापन तो दूर की बात है, साधारण विरोध करने के लिए भी कोई आगे नहीं आता । सामाजिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए ‘वेदांत फैशन्स लिमिटेड’ कंपनी पर अपराध प्रविष्ट कर कार्यवाही की जाए और विज्ञापनों के लिए भी ‘सेन्सर बोर्ड’ स्थापित किया जाए, ऐसी मांग भी केंद्र सरकार से की जाएगी ऐसा श्री. शिंदे ने कहा ।


‘मान्यवर’ ब्रांड हिन्दुओं से क्षमा मांगकर ‘कन्यादान’ का आपत्तिजनक विज्ञापन हटाएं । – हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की चेतावनी

वाशी, नवी मुंबई स्थित ‘मान्यवर’ शो रुम के बाहर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का प्रदर्शन !

‘वेदांत फैशन्स लिमिटेड’ कंपनी के ‘मान्यवर’ नामक कपडों के ब्रांड द्वारा हिन्दुओं की धार्मिक कृतियों के विषय में दुष्प्रचार करनेवाला विज्ञापन प्रसारित किया गया । इसमें हिन्दू विवाह संस्कार में ‘कन्यादान’ नहीं अपितु ‘कन्यामान’ कहें’, ऐसा आवाहन किया गया है, जो अत्यधिक आपत्तिजनक और हिन्दुओं की धार्मिक भावना आहत करनेवाला है । इस विज्ञापन के कारण व्यापक और उच्च मूल्य संवर्धित करनेवाली धार्मिक विधि के विषय में लोगों में जानबूझकर भ्रांति फैलाई जा रही है । इस विज्ञापन का विरोध करने के लिए हम हिन्दुत्ववादी संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं । वेदांत फैशन्स लि. कंपनी हिन्दुओं से बिना शर्त क्षमा मांग कर ‘मान्यवर’ ब्रांड का विज्ञापन तत्काल हटाएं, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता डॉ. उदय धुरी ने की । वे विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा आज वाशी, नवी मुंबई के ‘मान्यवर’ शो रूम के समक्ष किए प्रदर्शन के समय बोल रहे थे ।

इस समय हिंन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधीयों के समेत हिन्दू धर्मप्रेमियों ने हाथ में निषेध फलक पकडकर लोगों में जनजागृति की । यह विज्ञापन हटाकर जब तक क्षमा नहीं मांगी जाती, तब तक हिन्दू समाज ‘मान्यवर’ ब्रांड का बहिष्कार करे, ऐसा आवाहन हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने किया है ।

‘मान्यवर’ द्वारा प्रसारित विज्ञापन में हिन्दुओं को जानबूझकर निशाना बनाया गया है । विज्ञापन द्वारा ‘कन्यादान’ किस प्रकार अनुचित है ?, पुरातनवादी है, साथ ही ‘दान करने के लिए क्या कन्या कोई वस्तु है ?’, ऐसे संभ्रम निर्माण करनेवाले प्रश्न उपस्थित किए गए हैं । ‘कन्यादान’ नहीं अपितु कन्यामान’, ऐसा सीधे परंपरा बदलने का आवाहन किया है । मूलत: अन्य किसी भी धर्म में स्त्रियों का सम्मान नहीं किया जाता, इसके विपरित हिन्दू धर्म में आदिशक्ति के रूप में स्त्री की पूजा की जाती है । ऐसा होते हुए भी उस विषय में भ्रामक संदेश फैलानेवाली वेदांत फैशन्स लि. कंपनी अन्य धर्माें में महिलाओं के विषय में लागू अनुचित प्रथा-परंपराओं के विषय में प्रबोधन करनेवाला विज्ञापन प्रसारित करने का साहस करके दिखाए । ‘मान्यवर’ ब्रांड द्वारा विज्ञापन न हटाने पर भविष्य में भी तीव्र आंदोलन किए जाएंगे, ऐसा भी डॉ. धुरी ने कहा ।


अधिक पढ़े : हिंदुओं का ‘कन्यादान’ और आलिया भट्ट का ‘कन्यामान’ : खोखला है मान्यवर का विज्ञापन

 

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