बाली, इंडोनेशिया एक अद्वितीय समुदाय के रूप में जाना जाता है, जो कि मुख्यतः बाली हिंदूंआेंसे बना है, जिन्होंने शताब्दियोंसे हिंदु संस्कृतिका संरक्षण, अभ्यास तथा प्रचार किया है । यह पर्यटकों के लिए स्वर्ग कहा जाता है; परंतु इस स्वर्ग के नीचे एक गहरा षड्यंत्र है, जिससे न केवल इसकी भूमि; परंतु इसकी संस्कृती और यहांतक की बाली में हिंदूआें का अस्तित्व संकट में है । हिंदु जनजागृति समिति गत ३ वर्षोंसे बाली हिंदू नेताआें के संपर्क में है । एक मुसलमान देश में बाली हिंदूआें द्वारा हिंदु धर्म के संरक्षण तथा प्रचार के लिए किए जा रहे प्रयासों की हिंदु जनजागृति समिति प्रशंसा करती है, अपितु हम बाली के ‘बेनोआ बे रेक्लेमेशन परियोजना’ के विषय में जानकर चकित हैं, जिसका उद्देश पर्यावरण की दृष्टिसे संवेदनशील बेनाओबे का शोषण करना है एवं निहित स्वार्थों की पूर्ति करना है । ‘बाली बेनोआबे परियोजना’ के संदर्भ में संबंधित हिंदू संगठनों के एक समूहद्वारा हिंदु जनजागृति समिति को भेजे गए एक संदेश की प्रतिलिपी हम यहां दे रहे हैं ।
लव्ह बाली फोरम : पनकाली आश्रम इंडोनेशिया भेजा गया संदेश
हम बाली के लोग (किसी समय में) लगभग पूरे दक्षिण-पूर्व क्षेत्र द्वीपसमूह में फैले हिंदु साम्राज्य के खंडहरों के जिवित अवशेष हैं ।
हिंदु साम्राज्य के पतन के पश्चात यह द्वीपसमूह विश्व में इस्लामी समूह का सबसे बडा राज्य बन गया । द्वीपसमूहों की शेष हिंदु संस्कृति को इसकी समग्रता में बाली में देखा जा सकता है । बाली के लोग धार्मिक नेताआें एवं उनके भक्तों के वंशज हैं, जो अपने विश्वस्त अनुयायियों के साथ पूर्व के एक द्वीप की ओर भाग गए, जिसे आज बाली कहा जाता है । अतित में बाली के ९५ प्रतिशत लोग हिंदु थे परंतु, धीरे-धीरे ३ हानिकारक सार्वजनिक नीतियों के कारण धीरे-धीरे वे अल्पसंख्यक हो जाएंगे, जो कि इस प्रकार है ।
१. नविनग्राम अधिनियम की पारंपरिक गावों को दुर्बल करने की प्रवृत्ति को रोक पाने की क्षमता संदिग्ध है । जबकी, संविधान ने बाली को बाहरी प्रभावों के विरूद्ध शताब्दियोंसे संरक्षण दिया।
‘बेनाओ बे रिक्लेमेशन’ (बेनाओ खाडी का पुनुर्द्वार)
- इस परियोजना के अंतर्गत शासन बाली के बाहर के सैंकडो श्रमिकों तथा विशेषज्ञों को बाली में आने की अनुमति देगा । बाहरी लोगों के आनेसे बाली दबाव में आ जाएंगे एवं शीघ्र ही वे अपने ही घर में अल्पसंख्य हो जाएंगे ।
- इस परियोजना के अंतर्गत लाखों टन रेत समुद्र में डाली जाएगी, जिससे पर्यावरण की क्षति होने की संभावना है एवं सार्वजनिक परियोजना क्षेत्र के आसपास की सार्वजनिक बस्तीयों में कीचड तथा बाढ इनकी स्थिती बन सकती है ।
- इसी परियोजना के अंतर्गत विशेष एन्क्लेव्ह (अंर्तक्षेत्र) विकसित किए जाएंगे, जिनका सार्वजनिक उपयोग प्रतिबंधित होगा, जिससे की आसपास के क्षेत्रों के अधिकांश लोगों की आय का स्रोत, जो की मछली पकडना है, वह नष्ट हो जाएगा । विश्व पर्यटन के संदर्भ में बाली अपनी अद्वितीय सांस्कृतिक आकर्षण के लिए प्रसिद्ध है, जबकी वैकल्पिक लेनोआ बे परियोजना पर्यटक आकर्षण सांस्कृतिक पर्यटन का आकर्षण लुप्त हो सकता है, जिसमें की अधिकांश बाली लोग प्रतिभागी होते हैं तथा अपना जिवापार्जन करते हैं ।
- बाली के लोगों के अपनी ही मातृभूमिपर अल्पसंख्य हो जानेसे अपनी उन हिंदु रितीयों तथा अनुष्ठानोंका पालन करना उनके लिए आसान नहीं होगा । जिस सांस्कृतिक विरासत के कारण बाली प्रसिद्ध है, यदि ऐसा हुआ तो शताब्दियों पुरानी प्रथाएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगी ।
३. बैसाकीह मंदिर के लिए के.एस.पी.एन. (राष्ट्रीय पर्यटन सामरिक क्षेत्र)
बैसाकीह मंदिर बाली की मूल आत्मा है । ऐतिहासिक खोजों के अनुसार महर्षि मार्कंडेय ने इसी स्थानसे पूरे बाली में हिंदु धर्म का प्रचार-प्रसार आरंभ किया था ।
‘बैसाकीह’ बाली का मातामंदिर है । इसमें अनेक मंदिर हैं, जहां सगुण ब्रह्म एवं निगुण ब्रह्म इनकी पूजा की जाती है । इसमें बाली जाति के अनेक शिलालेख सुरक्षित हैं । के.एस.पी.एन. कार्यक्रम के अंतर्गत लानेसे
बैसाकीह मंदीर को KSPN कार्यक्रम के अंतर्गत लाने से इस पवित्र मंदीर का उपयोग बहुत आसानी से पर्यटक स्थल में होने लगेगा । यह मंदीर की पवित्रता और आध्यात्मिक स्पंदनो को नष्ट करेगा ।
KSPN कार्यक्रम के अंतर्गत अन्य पर्यटन सुविधाएं जैसे होटल, रेस्तरां, दुकानों के लिए मार्ग खुला किया जाएगा तथा आगे मंदीर के आसपास के क्षेत्र में मार्ग खुला किया जाएगा ।
इन तीन कार्यक्रमों का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि, किस तरीके से बाली से हिन्दू धर्म को मिटाने की उत्कृष्ट राजनीति चल रही है ।
इन कार्यक्रमों से बाली राज्य अधिकारहीन तथा नामशेष हो जाएगा ।
अल्पसंख्यक समुदाय होने से बाली के लोग अपनी रीतियों तथा परंपराओ के पालन की स्वतंत्रता से वंचित हो जाएँगे । यदि हम ऐसी घटनाआें का विरोध करेंगे तो हमें विद्रोही कहा जाएगा और विश्व संगठन अथवा अन्य कोई भी हमारी सहायता नहीं करेगा ।
यह सब होने से पहले हम हिंदू संगठनों और अंतरराष्ट्रीय हिन्दू नेताआें से परामर्श तथा समर्थन के लिए याचना करते हैं ।
इस विश्व से हिन्दू धर्म का अस्तित्व मिटने से रोकें क्योकि हिंदू धर्म एक वास्तविक सत्य है और यह हमारा कर्तव्य है कि, हम विश्व मे इसके अस्तित्व को बनाए रखें । हम खून की अंतिम बूंद रहने तक सत्य की रक्षा करेंगे क्योकि हिंदू सनातन धर्म है, वास्तविक सत्य है ।
त्रिमूर्ति इंडोनेशिया, यूनिटी ऑफ इंडोनेशिया हिंदू डिवोटीस
लव बाली फोरम, आश्रम पनकाली इंडोनेशिया, सेंटर आॅफ इंडोनेशिया हिन्दू कोऑरडीनेशन
मीडीया वाले कैसे बेनोआ बे रेक्लेमेशन प्रकरण के सांस्कृतिक पहलू को अनदेखा कर रहा है ?
इन सभी विषयों में से जिन पर इस पत्र में प्रकाश डाला गया है, विश्व भर के लोग केवल बाली बेनोआ बे रेक्लेमेशन से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में चिंतित हैं । अनेक पर्यावरणवादी समूह इस परियोजना का सक्रिय रूप से विरोध तथा निंदा कर रहे है फिर भी हर कोई अद्वितीय तथा सुंदर बाली हिन्दू संस्कृति पर पडने वाले इसके प्रभावों को अनदेखा कर रहा है । ऐसे में यह स्पष्ट हैं कि, बाली के हिन्दुओं को विश्व भर विशेषत: भारत के अपने हिन्दू भाईयों से सहायता की आवश्यकता है । हिन्दू धर्म प्रत्येक सजीव तथा निर्जीव वस्तु में भगवान को देखता है और उसका सम्मान करने की शिक्षा देता है और जब ऐसे हिन्दू संस्कृति का संरक्षण होगा तभी पर्यावरण तथा बेनोआ बे के सुंदरता की रक्षा हो पाएगी ।
आप क्या सहयोग कर सकते हैं ?
बाली हिन्दू संस्कृति की रक्षा हेतु इंडोनेशिया की सरकार से बेनोआ बे रेक्लेमेशन परियोजना का निर्माण करने वाले विवादास्पद कानून को वापिस लेने तथा इस परियोजना को पूरी तरह निरस्त करने वाली निम्न याचिका पर आप हस्ताक्षर करे । बाली हिन्दुआें को अपना समर्थन दीजिए ।