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शिवमुष्टि व्रत

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विवाहके उपरांत पहले पांच वर्ष सुहागिनें क्रमसे यह व्रत करती हैं । इसमें श्रावणके प्रत्येक सोमवार एकभुक्त रहकर शिवलिंगकी पूजा करनेकी और चावल, तिल, मूंग, अलसी एवं सत्तू (पांचवा सोमवार आए तो) के धान्यकी पांच मुट्ठी देवतापर चढानेकी विधि है । शिवमुष्टि व्रतविधि शिवजीके देवालयमें जाकर की जाती है । जिन्हें देवालयमें जाकर यह विधि करना संभव न हो, वे घरपर भी संकल्प कर यह पूजाविधि कर सकती हैं ।

१. शिवमुष्टि व्रत-विधि

१. भगवान शिवजीको प्रार्थना कर पूजाविधि आरंभ कीजिए ।

२. प्रथम आचमन कीजिए ।

३. उसके उपरांत संकल्प कीजिए ।

मम श्रीशिवप्रीतिद्वारा सर्वोपद्रवनिरासपूर्वं भर्तृस्नेह-अभिवृद्धि-स्थिरसौभाग्य-पुत्रपौत्र-धनधान्य-समृद्धि-क्षेम-आयुः-सुखसंपदादि-मनोरथ-सिद्ध्यर्थं शिवमुष्टिव्रतं करिष्ये ।

इसका अर्थ है, मैं, मेरी शिवप्रीतिद्वारा सर्व उपद्रवकारी द्रव्योंका विनाश कर, पतिपर स्नेहकी अभिवृद्धि, सौभाग्यस्थिरता, पुत्र-पौत्र-प्रपौत्र; धन, धान्य इनकी समृद्धि; क्षेम, आयु, सुख, संपत्ति इत्यादि मनोरथोंकी सिद्धिके लिए यह शिवमुष्टि व्रत करती हूं ।

इस संकल्पमें नवविवाहिताकी व्यापक कुटुंबभावना दिखाई देती है । इससे यह स्पष्ट होता है कि सनातन हिंदु धर्म व्यक्तिपर  किस प्रकारके जीवनमूल्य अंकित करता है – यही सनातन हिंदु धर्मकी महानता है ।  अब देखते  हैं शिवमुष्टि व्रतके आगेकी पूजा विधि

१.  अब ताम्रपात्रमें रखी शिवपिंडीपर चंदन चढाइए ।

२. अब शिवपिंडीपर श्वेत अक्षत चढाइए ।

३. अब शिवपिंडीपर श्वेत पुष्प चढाइए ।

४. इसके उपरांत शिवपिंडीपर बिल्वपत्र चढाइए । बिल्वपत्रको औंधे रख उसके डंठलको पिंडीकी ओर कर पिंडीपर चढाइए ।

५. अब धुले हुए चावल मुष्टिमें लेकर शिवपिंडीपर इसप्रकार चढाइए ।

६. शिवमुष्टि चढानेके इसी कृत्यको पांच बार दोहराइए ।

७. तदुपरांत धूप दिखाइए एवं उसके उपरांत दीप दिखाइए ।

८. अब नैवेद्य निवेदित कीजिए ।

९. अब शिवजीको कर्पूर आरती दिखाइए ।

१०. अंतमें पुनः एकबार शिवजीको भावपूर्ण प्रार्थना कीजिए ।

अभी हमने शिवमुष्टि व्रतकी विधि देखी । इसी पद्धतिसे पूजन कर श्रावणके प्रत्येक सोमवारको   शिवपिंडीपर विशिष्ट अनाज चढाना चाहिए ।

२. शिवपिंडीपर अनाज चढाना

१. पहले सोमवारको शिवमुष्टिके लिए चावलका उपयोग करते हैं ।

२. दूसरे सोमवारको शिवमुष्टिके लिए श्वेत तिलका उपयोग करते हैं ।

३. तीसरे सोमवारकी शिवमुष्टि है, मूंग

४. चौथे सोमवारको शिवमुष्टिके लिए अलसी का उपयोग करते हैं ।

५. जिस वर्ष श्रावणमासमें पांचवां सोमवार आए तो, शिवमुष्टिके लिए सत्तू की बाली अर्थात वीट विथ हस्क का उपयोग करते हैं ।

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