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श्रावणी सोमवार व्रत

श्रावण मास में बच्चों से लेकर बडे-बूढोंतक सभी के द्वारा किया जानेवाला एक महत्त्वपूर्ण व्रत है, श्रावण सोमवार का व्रत । श्रावण सोमवार के व्रतसंबंधी उपास्य देवता हैं भगवान शिवजी । श्रावण महीने में हर सोमवार शिवजी के मंदिर जाकर उनकी पूजा करें और संभव हो, तो निराहार उपवास रखें अथवा नक्त व्रत रखें । मान्यता है कि, इससे शिवजी प्रसन्न होते हैं और शिवसायुज्य मुक्ति मिलती है ।

१. श्रावण सोमवार की व्रतविधि

इस में श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिवजी के देवालय में जाकर उनकी पूजा की जाती है । कुछ शिवभक्त श्रावण के प्रत्येक सोमवार को १०८ अथवा विशेष संख्या में बिल्वपत्र शिवपिंडीपर चढाते हैं । कुछ लोग श्रावण सोमवार को केदारनाथ, वैद्यनाथ धाम, गोकर्ण जैसे शिवजी के पवित्र स्थानोंपर जाकर विविध उपचारों से उनका पूजन करते हैं । इसके साथ ही श्रावण सोमवार को भगवान शिवजी से संबंधित कथा-पुराणों का श्रवण करना, कीर्तन करना, भगवान शिवजी संबंधी स्तोत्रपाठ करना, भगवान शिवजी का ‘ॐ नमः शिवाय ’ यह नामजप करना इत्यादि प्रकार से भी दिनभर यथाशक्ति भगवान शिवजी की उपासना की जाती है । व्रत के दिन व्रतदेवता की इस प्रकार उपासना करना व्रत का ही एक अंग है । श्रावण सोमवार के दिन भगवान शिवजी का नामजप करना लाभदायी होता है ।

२. श्रावण सोमवार व्रत से संबंधित उपवास

इस दिन संभव हो, तो निराहार उपवास रखते हैं । निराहार उपवास अर्थात दिनभर आवश्यकतानुसार केवल जल प्राशन कर किया जानेवाला उपवास । दूसरे दिन भोजन कर यह उपवास तोडा जाता है । कुछ लोग नक्त व्रत रखते हैं । नवतकाल अर्थात सूर्यास्त के उपरांत तीन घटिका अर्थात ७२ मिनट, अथवा  नक्षत्र दिखनेतक का  काल । व्रतधारी दिनभर कुछ न सेवन कर इस नक्तकाल में भोजन कर व्रत रखते  हैं ।

कांवरयात्रा

३. श्रावण सोमवार को किए जानेवाले कुछ धार्मिक कृत्य

कुछ स्थानोंपर शिवभक्त यथाशक्ति किसी एक सोमवार अथवा महीने के प्रत्येक सोमवार को कांवरयात्रा करते हैं । कांवर अर्थात होली वॉटर बीअरर । इस यात्रा में शिवभक्त कांवर में नदी का जल लेकर भगवान शिवजी से संबंधित निकट के किसी तीर्थक्षेत्र में जाते हैं तथा कांवर का जल शिवपिंडी को चढाते हैं । इसप्रकार किए गए शिवाभिषेक का थोडा जल वापस लाकर शिवभक्त उसका प्रयोग तीर्थ के रूप में करते  हैं । यह यात्रा नंगे पैर अर्थात बिना जूते-चप्पल पहने, पैदल चलते हुए की जाती है । कुछ स्थानोंपर श्रावण के तीसरे सोमवार को मेले का आयोजन भी किया जाता है । श्रावण के अंतिम सोमवार को इस व्रत का पारण किया जाता है, कुछ स्थानोंपर भंडारे किए जाते हैं तथा कुछ स्थानोंपर पूरे श्रावण मास में अन्नछत्र चलाया जाता है । यह व्रत रखने से भगवान शिवजी प्रसन्न होते हैं एवं भक्त को सायुज्य मुक्ति मिलती है तथा ऐसी मान्यता है कि इस विधिद्वारा  भगवान शिवजी से एकरूपता प्राप्त होती है । इसी व्रत को जोडकर महिलाएं श्रावण के प्रत्येक सोमवार को एक अन्य उपव्रत रखती हैं ।

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