आषाढ पूर्णिमा से कार्तिकी पूर्णिमा तक, इन १२० दिनों में विनाशकारक, तमप्रधान यमतरंगें पृथ्वीपर अधिक मात्रा में आती हैं । इस काल में उनकी तीव्रता अधिक होती है एवं इसी काल में, अर्थात भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक, गणेश तरंगों के पृथ्वीपर अधिक मात्रा में आने से, यमतरंगों की तीव्रता को घटाने में सहायता मिलती है । श्री गणेश चतुर्थी पर तथा श्री गणेशोत्सवकाल में नित्यकी तुलना में पृथ्वी पर गणेशतत्त्व १ सहस्र गुना अधिक कार्यरत रहता है । इस काल में की गई श्री गणेशोपासना से गणेशतत्त्व का लाभ अधिक होता है ।
श्री गणेश चतुर्थी कैसे मनाएं ?
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