होलीके दिन अग्निदेवताकी पूजा करनेसे व्यक्तिको तेजतत्त्वका लाभ होता है । इससे व्यक्तिमेंसे रज-तमकी मात्रा घटती है । इसीलिए इस दिन अग्निदेवताकी पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है ।
रंगपंचमीके दिन एक-दूसरेके शरीरको स्पर्श कर रंग लगानेसे नहीं; अपितु केवल वायुमंडलमें रंगोंको सहर्ष उडाकर उसे मनाना चाहिए । वातावरणमें होनेवाली प्रक्रिया रंगपंचमीके दिन तेजतत्त्वामक शक्तिके कण ईश्वरीय चैतन्यका प्रवाह एवं आनंद का प्रवाह पृथ्वीकी ओर आकृष्ट होता है ।
होली ब्रह्मांडका एक तेजोत्सव है । होलीके दिन ब्रह्मांडमें विविध तेजोमय तरंगोंका भ्रमण बढता है । इसके कारण अनेक रंग आवश्यकताके अनुसार साकार होते हैं । रंगोंका स्वागत हेतु होलीके दूसरे दिन ‘धूलिवंदन’ का उत्सव मनाया जाता है ।
हुताशनी पूर्णिमा अर्थात होलिकोत्सव! होली प्रज्वलनके उपरांत हाथ उलटाकर मुंहपर रखकर जोरजोरसे चिल्लानेका कृत्य किया जाता है ।