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हनुमान

मारुति तत्त्व से संबंधित सात्त्विक रंगोलियां

हनुमान की पूजा से पूर्व, तथा हनुमान जयंती के दिन घर अथवा देवायल में हनुमान तत्त्व आकर्षित एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां बनाएं । ऐसी कुछ रंगोलियां यहा दी हैं ।

हनुमानजी का कार्य एवं विशेषताएं

सर्व देवताओं में केवल हनुमान जी को ही अनिष्ट शक्तियां कष्ट नहीं दे सकतीं । लंका में लाखों राक्षस थे, तब भी वे हनुमान जी का कुछ नहीं बिगाड पाए । इसीलिए हनुमान को ‘भूतोंका स्वामी’ कहा जाता है ।

हनुमानजीकी उपासना एवं उसका शास्त्राधार

हनुमानजी में प्रकट शक्ति ७२ प्रतिशत होती है । अत: हनुमानजी की उपासना अधिक मात्रामें की जाती है । हनुमानजी की उपासना से जागृत कुंडलिनी के मार्ग में आई बाधा दूर होकर कुंडलिनी को उचित दिशा मिलती है । साथही भूतबाधा, जादू-टोना, अथवा पितृदोष के कारण होनेवाले कष्ट, शनिपीडा इत्यादि का निवारण भी होता है ।

हनुमानजी को तेल, सिंदूर, मदार के फूल एवं पत्ते इत्यादि अर्पण करने का महत्त्व

देवता को विशिष्ट वस्तु अर्पित की जाती है, जैसे हनुमानजी को तेल, सिंदूर एवं मदार के फूल तथा पत्ते । इन वस्तुओं में हनुमानजी के महालोकतक के देवता के सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण, जिन्हें पवित्रक कहते हैं, उन्हें आकृष्ट करने की क्षमता होती है ।

हनुमानजी के संदर्भ में मूर्तिविज्ञान

अधिकांशत: हनुमानजी का वर्ण लाल एवं कभी-कभी काला भी होता है । लाल वर्ण की हनुमानजी की मूर्ति अर्थात सिंदूर से लीपी हुई । सिंदूर में तेल मिलाकर उससे यह मूर्ति लीपी जाती है । आकार एवं मुख के अनुसार हनुमानजी की साधारणतः निम्न प्रकार की मूर्तियां दृष्टिगोचर होती हैं ।

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