Menu Close

जनिए हिन्दू धर्म में क्यों निषिद्ध है मांसाहार !

say_no_to_meatमांसाहार का सेवन करना हिंदू संस्कृति में वर्जित है क्योंकि यह मनुष्य का नहीं राक्षसी भोजन है। जो तरह-तरह के अमृत पूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस आदि पदार्थों को खाते हैं ऐसे मनुष्य राक्षस के समान होते हैं। धार्मिक ग्रंथों में जीव हत्या को पाप बताया गया है इसलिए बहुत से लोग शाकाहार का अनुसरण करते हैं।

सनातन संस्कृति में गौमांस को खाना पाप माना गया है क्योंकि जब भगवान विष्णु कृष्ण रूप में धरती पर अवतरीत हुए तो उन्होंने गौ प्रेम से लेकर गौ भक्ति तक बहुत सी लीलाएं की जिससे पृथ्वी वासियों को गौ धन की महिमा से अवगत करवाया जा सके। गाय का दूध, घी, गोबर और गोमूत्र अनेक रोगों की एक दवा है। माना जाता है कि गाय के इन बहुमूल्य द्रव्यों को खाने से शरीर में पापों का समावेश नहीं हो पाता। श्री कृष्ण अनेकों गायों को पालन-पोषण करते तथा उन्हें मां समान पूजते तभी तो उनको गोपाल कहा जाता है।

ऋग्वेद में गाय को जगत माता का दर्जा दिया गया है। अनेकों पुराणों के रचियता वेद व्यास जी के अनुसार,  “गाय धरती की माता हैं और उनकी रक्षा में ही समाज कि उन्नति है। गाय की  देख-भाल करने वाले को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।”

महाभारत में वर्णित है, “जो व्यक्ति सौ वर्षों तक लगातार अश्वमेघ यज्ञ करता है और जो व्यक्ति मांस नहीं खाता, उनमें से मांसाहार का त्यागी ही विशेष पुण्यवान माना जाता है।”

मनुस्मृति में वर्णित है, “जो व्यक्ति अपने सुख के लिए निरपराध प्राणियों की हत्या करता है, वह इस लोक और परलोक में कहीं भी सुख प्राप्त नहीं करता। “

इसके अतिरिक्त यदि चमड़े के पात्र में रखा घी, तेल, जल, हींग आदि खाते हैं तो भी आप शाकाहारी नहीं हैं।

अब हम आपको मांसाहार के नुकसान का वैज्ञानिक दृष्टिकोण बताते हैं जिसके अनुसार मांस हमारे शरीर के लिए नुकसानदेय होता है।

१. मांस खाने वाले ज्यादातर लोगों में चिडचिडापन और ज्यादा क्रोध होने के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे लोग स्वभाव से बहुत ज्यादा उग्र होते हैं। मांस खाने से आपके शरीर और मन दोनों अस्वस्थ बन जाते हैं।

२. मांसाहारी खाने वाले लोग शाकाहारी की तुलना में गंभीर बिमारियों की चपेट में ज्यादा आते हैं। इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रशेर, डायबिटिज, दिल की बीमारी, कैंसर, गुर्दे का रोग, गठिया और अल्सर शामिल हैं।

३. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है।

४. मांसाहार की तुलना में शाकाहारी भोजन सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। शाकाहारी भोजन करने से मनुष्य स्वस्थ, दीर्घायु, निरोग और तंदरुस्त बनाता है।

५. आप सभी ने बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू का नाम सुना होगा। यह बीमारी मुर्गे और सुअरों के जरिए मनुष्यों तक पहुंचती है। यह बीमारी हमारे शरीर तक तभी पहुंचती है जब हम इस बीमारी से ग्रस्त जीव को खाते हैं। हर साल इसकी वजह से लाखों लोग मौत की चपेट में आ जाते हैं।

६. दुनिया के एक चौथाई प्रदूषण का कारण मांस है। यदि विश्व के लोग मांस खाना छोड दें तो ७० प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो सकता है।

७. मांस खाने से मनुष्य की उम्र भी कम होती है।

८. विज्ञान के अनुसार शाकाहारी लोग मासांहार करने वालों की तुलना में डिप्रेशन का शिकार कम बनते हैं।

१०. मांसाहारी भोजन में गरम मसालों को स्वाद बढ़ाने के लिए डाला जाता है। इसे पचाने के लिए शरीर के अंगों पर ज्यादा दबाव पड़ता है।

अनजान फल, बहुत छोटा फल, जिस फल का स्वाद बदल गया हो, खट्टापन आ जाए, बासी दही, मट्ठा, वर्षा के साथ गिरने वाले ओले, द्विदल आदि शाकाहारी व्यक्ति को नहीं खाने चाहिए। इनके खाने से मांसाहार का दोष तो लगता ही है, उदर में पहुंच कर ये अनेक प्रकार के रोग पैदा कर देते हैं। हमारा धर्म हमें जो खाने की अनुमति देता है वो सब भक्ष्य है हमारे लिए शाकाहार है। चाहे वो दही हो या अंकुरित मूंग या दूध, ये सब खाकर भी आप यदि हिन्दू हैं तो शाकाहारी ही रहेंगें।

मनुष्य मूलतः शाकाहारी है। ज्यादा मांसाहार से चिड़चिड़ेपन के साथ स्वभाव उग्र होने लगता है। यह वस्तुतः तन के साथ मन को भी अस्वस्थ कर देता है। प्रकृति ने कितनी चीजें दी हैं जिन्हें खाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं फिर मांस ही क्यों ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *