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नींद किन कारणों से आती है ?

        इस लेख की सहायता से हम समझेंगे कि निद्रा किन कारणों से आती है और हमें कहां सोना चाहिए ।

 १. नींद आने के कुछ कारण एवं प्रक्रिया

अ. शरीर द्वारा अलग-अलग क्रियाएं (गतिविधियां) करने से थकी इंद्रियों को विश्राम की आवश्यकता होती है । निद्रा के कारण इस आवश्यकता की पूर्ति होती है ।

आ. दिनभर विचार करने से थके मन एवं बुद्धि को विश्राम की आवश्यकता होती है । निद्रा के कारण यह आवश्यकता पूर्ण होती है । गहरी निद्रा में व्यक्ति को किसी भी विषय का भान नहीं रहता और न ही उसे कोई भी स्वप्न आता है ।

इ. सभी इंद्रियां मन में लीन होने पर अर्थात इंद्रियों का कार्य रुक जाने पर व्यक्ति को नींद आती है । उस समय व्यक्ति को न सुनाई देता है, न दिखाई देता है और न किसी भी प्रकार की गंध आती है ।

ई. जब मन प्राण के स्थान पर अर्थात श्वास में लीन होता है अर्थात मन का कार्य रुक जाता है, तब व्यक्ति को नींद आती है ।

उ. उचित आहार-विहार करनेवाले को नियमित एवं पर्याप्त मात्रा में नींद आती है ।

२. शरीर से बहने वाले धन एवं ऋण प्रवाहों का संतुलन और निद्रा का संबंध

अ. शरीर में विद्यमान रेखावृत्तों के ‘धन’ अर्थात यांग प्रवाहों से बहने वाली चेतना शक्ति की मात्रा में वृद्धि होने पर निद्रा नाश का विकार बढने की संभावना होती है, उसी प्रकार शरीर में विद्यमान रेखावृत्तों के ‘ऋण’ अर्थात यिन प्रवाहों से बहने वाली चेतना शक्ति की मात्रा में वृद्धि होने पर अधिक नींद और ऊंघ आती है । धन एवं ऋण रेखावृत्तों से प्रवाहित चेतना शक्ति के प्रवाहों का संतुलन होने पर ३-४ घंटे नींद होकर भी स्फूर्ति, उत्साह एवं प्रसन्नता लगती है ।

आ. शरीर में विद्यमान चेतना शक्ति के प्रवाह विशिष्ट मार्गोंसे संपूर्ण शरीर में प्रवाहित होते हैं । इन मार्गोंको रेखावृत्त (चीनी भाषामें ‘जिंग’) कहते हैं । कुल १४ प्रमुख रेखावृत्त हैं ।

इ. मानव को सूर्य से प्राप्त चेतना शक्ति ‘धन’ (चीनी भाषामें ‘यांग’) शक्ति के नाम से जानी जाती है । यह शक्ति हाथ की उंगलियों के अग्रों से मुख की ओर एवं मुख से पैरों की ओर प्रवाहित होती है ।

ई. मानव को पृथ्वी से प्राप्त चेतना शक्ति ‘ऋण’ (चीनी भाषामें ‘यिन’) शक्ति के नाम से जानी जाती है । यह शक्ति तलुओं के माध्यम से शरीर के ऊपरी भाग की ओर एवं यहां से आगे हाथ के भीतरी भाग से हथेलियों की ओर प्रवाहित होती है ।

३. निद्रा का स्थान

अ. निद्रा का स्थान स्वच्छ एवं शांत हो ।

आ. माता-पिता, गुरु अथवा वृद्ध व्यक्ति जिस कक्ष में सोते हैं, उस कक्ष में यदि किसीको सोने की आवश्यकता पड जाए, तो अपने पैर उनकी दिशा में न आएं, इस प्रकार अपना बिछौना डालें ।

संदर्भपुस्तक : सनातनका सात्विकग्रन्थ ‘शांत निद्राके लिए क्या करें ?

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