क्या आपको ज्ञात है कि यदि हम देवालय में दर्शन हेतु हमारे धर्मशास्त्र में बताए गए कृतियों का पालन करें तो देवता के दर्शन से हम अत्याधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं । इनमें से अधिकांश कृत्य का धर्मशास्त्रीय आधार है ।
देवता का चैतन्य ग्रहण करने हेतु हम सभी देवालय में देवता की परिक्रमा करने के उपरांत तीर्थ तथा प्रसाद ग्रहण करते हैं । यदि हम अपने शास्त्रों में बताए गए आध्यात्मिक दृष्टि से उचित पद्धति का पालन कर प्रसाद तथा तीर्थ ग्रहण करें, तो हम इससे सर्वाधिक लाभ ले सकते हैं ।
हममें से अधिकतर लोग देवता के दर्शन हेतु देवालय जाते हैं । दर्शन का सर्वाधिक लाभ मिले इस हेतु व्यक्ति को देवता की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए । हाथों को नमस्कार मुद्रा में रख गर्भ गृह के बांए से सामान्य गति से भगवान का नामजप करते हुए परिक्रमा करना चाहिए ।
इस लेख में देवालय की प्रत्येक सीढी को नमस्कार करना, प्रत्येक सीढी को स्पर्श करने का महत्त्व एवं दर्शनार्थी द्वारा देवालय की सीढी को दाहिने हाथ से स्पर्श कर वह हाथ आज्ञाचक्र पर रखने से हुए सूक्ष्म-स्तरीय लाभ इसकी जानकारी दी है ।
हिन्दू धर्म बताता है कि शिवलिंग के दर्शन से पहले नंदी के दोनों सींगों को स्पर्श कर उसके दर्शन करें । इसे श्रृंगदर्शन कहते है । व्यक्ति नंदी के दाहिनी ओर बैठकर अथवा खडा होकर अपना बायां हाथ नंदी के वृषण पर रखें । पश्चात दाहिने हाथ की तर्जनी (अंगूठे की निकट की उंगली) एवं अंगूठा नंदी के दोनों सींगों पर रखें । अब तर्जनी एवं अंगूठे की बीचकर रिक्ति से शिवलिंग के दर्शन करें । यह शृंगदर्शन करने की उचित पद्धति है ।
देवालय में जानेवाले हममें से अनेक लोगों ने देवता की मूर्ति के समक्ष पत्थर अथवा धातु से बनी कछुए की प्रतिमा देखी होगी । देवतादर्शन से अधिक लाभ लेने हेतु श्रद्धालुओं को देवता की मूर्ति एवं कछुए को जोडनेवाली काल्पनिक रेखा की एक ओर खडे रहकर दर्शन करना चाहिए । दर्शन करते समय देवता की मूर्ति एवं कछुए की प्रतिकृति के मध्य में न बैठें अथवा खडे रहें ।
मंदिरमें जाकर देवताका भावपूर्ण दर्शन करते समय हमें कुछ आचारोंका पालन सतर्क रहकर करना चाहिए । उदाहरणार्थ, चप्पल-जूते उतारना, मंदिरके सामने खडे होकर मंदिर के कलश को नमस्कार करना इत्यादि । अनेक बार हमारी बुद्धिमें प्रश्न उठ सकते हैं कि ये कृत्य क्यों करने चाहिए । हिन्दू धर्मग्रंथों के आधार पर ऐसे कुछ प्रश्नोंके उत्तर आगे दे रहे हैं ।
हममें से अनेक लोग देवालय में देवतादर्शन करने जाते हैं और वहां की ईश्वरीय शक्ति एवं चैतन्य का लाभ लेते हैं । क्या आप जानते हैं कि देवालय परिसर में प्रवेश करते ही कलश के दर्शन करना सर्वाधिक लाभदायक है ? इस लेख से अधिक जानकारी लेते है ।
हममें से अधिकतर लोग समय-समय पर मंदिर जाते हैं । हिन्दू धर्म हमें देवालय में देवता के दर्शन करने का शास्त्र बताता है । इस लेख में हम देखेंगे कि देवालय में देवतादर्शन से हमें क्या-क्या लाभ होते हैं तथा देवालय का महत्त्व क्या है ।