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दीप अमावास्या को ‘गटारी अमावस्या’ कहकर मजाक उडानेवाले धर्मद्रोही विचारों का एक हिन्दु धर्माभिमानीद्वारा किया गया खंडण

सभी हिन्दू बंधुओं को विनती !

दीप (दिएं धोने की) अमावास्या को कुछ विकृत लोग ‘गटारी अमावास्या’ संबोधित कर हिन्दु धर्म अपकीर्त कर रहे हैं। मूलतः गटारी नाम का कोई भी त्योहार हमारे धर्म में नहीं है। यह नामकरण दारू पीनेवाले लोगों ने किया है। इस त्योहार के दिन घर के सभी दिएं धोकर उनकी पूजा की जाती है। दिएं अपने जीवन का अंधःकार नष्ट कर हमें प्रकाश देते हैं। अतः उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का यह त्योहार !

अतः इस त्योहार को दीप (दिएं धोने की) अमावस्या ही कहना। कभी भी मजाक से भी गटारी नहीं कहना। कोई भी इस दिन को मद्य पीने के लिए नहीं बताता। इसके विपरित दीपों की पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए बताया जाता है !

हिन्दुओं को आवाहन !

हिन्दुओ, समय पर ही सावध हो ! अन्यथा कल यही धर्मद्रोही कहेंगे, धर्म ही हमें गटारी मनाने को बताया गया है तथा धर्म बताता है कि, इस दिन अधिक मद्यपान करें !

हिन्दुओं ने इस त्योहार के संदर्भ में लोगों में जागृति कर इस त्योहार को जो विकृत स्वरूप प्राप्त हुआ है, वह रोकने के प्रयास करने चाहिए। इस माध्यम से त्योहार एवं संस्कृति का आदर करने के लिए हिन्दुओं को संघटित होना चाहिए !

– एक हिन्दु धर्माभिमानी (व्हॉट्स अ‍ॅप पर प्रकाशित किया गया संदेश)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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