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पुरोगामी पत्रकार विनोद दुआद्वारा हिन्दू धर्मशास्त्र के मंत्रों की शक्ति के संदर्भ में किया गया दुष्प्रचार तथा उसका खंडन

श्री. रमेश शिंदे

चीन बडी मात्रा में भारत विरोधी गतिविधियां कर रहा है। अब तो उसने भारत की सीमा पर अपनी सेना खडी कर दी है। इस पर उपाय के रूप में रा.स्व. संघ के नेता श्री. इंद्रेश कुमार ने चीन के विरोध में मंत्रशक्ति का उपयोग करने हेतु भारतीयों को एक मंत्र का उच्चारण का आवाहन किया। इससे बौखलाये हुए एनडीटीवी के पुरोगामी पत्रकार विनोद दुआ ने ‘जन गण की मन की बात’ इस कार्यक्रम में हिन्दू धर्मशास्त्र में दी मंत्रशक्ति का उपहास किया है। उन्होंने ग्वालियर के आयटीएम विश्‍वविद्यालय के उपकुलगुरु श्री. रमाशंकर (जो ना इतिहास के अनुसंधानकर्ता हैं और ना अभ्यासी) का संदर्भ देते हुए कहा, सोमनाथ मंदिर पर जब मुसलमानों ने आक्रमण किया, उस समय मंदिर के पुजारी आक्रमकों के साथ लडने के स्थान पर वशीकरण एवं शत्रू-उच्चाटन मंत्रोच्चारण करने बैठ गए ! इससे मंदिर का विध्वंस हुआ ही साथ में पुजारी भी मारे गए। यह अयोग्य इतिहास है। आगे उन्होंने कहा, हिन्दुत्वनिष्ठ संघटन जिस प्रकार से पुष्पक विमान के संदर्भ में, साथ ही श्री गणेश के शरीर पर हाथी मस्तक लगाने को शल्यकर्म बताते हैं, उसी प्रकार से यह भी एक अवैज्ञानिक आवाहन है !

निम्न सूत्रों का अध्ययन करने के पश्चात पुरोगामी पत्रकार श्री. विनोद दुआद्वारा हिन्दू धर्म के संदर्भ में फैलाया जा रहा बुद्धिभेद आपके ध्यान में आ जाएगा . . .

१. यह पुरोगामी पत्रकार सोमनाथ मंदिर पर किए गए आक्रमण का जिनका इतिहास बता रहे हैं, उनका इतिहास का तनिक भी अध्ययन नहीं और वे व्यवसाय से अभियंता है ऐसे श्री. रमाशंकरद्वारा लिखित ऐतिहासिक लेखन को एक ‘इतिहास’ के रूप में प्रस्तुत करने का झुठापन कर रहें हैं !

२. सोमनाथ मंदिर के आक्रमण का इतिहास बताते समय वे आक्रमणकारी का नाम भी नहीं लेते; किंतु पुजारियों के मंत्रोच्चारण के संदर्भ में विस्तृत जानकारी देकर स्वयं के पुरोगामित्व का झुठापन सिद्ध कर रहे हैं !

३. हिन्दू धर्मशास्त्र में क्षत्रिय को क्षात्रधर्म का, अर्थात लडने का दायित्व सौंपा गया है, जबकि ब्राह्मणों को ब्राह्मतेज का दायित्व दिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी रणभूमि पर अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता कही तथा युद्ध से पलायन का प्रयास करनेवाले अर्जुन को लडने हेतु प्रेरित किया। यहां श्रीकृष्ण ने क्षत्रिय अर्जुन को लडने के स्थान पर मंत्रजप करने के लिए नहीं कहा, इस ओर ये पुरोगामी ध्यान नहीं देते !

४. त्रेतायुग में जब असुरों की उद्दंडता बढ गई, तब ऋषि-मुनियों ने उनके निर्दालन हेतु प्रभु श्रीराम को आवाहन कर उनसे सहायता ली थी !

५. यहां पर रा.स्व. संघ के नेता श्री. इंद्रेश कुमारद्वारा किया गया मंत्रोच्चारण का आवाहन सर्वसामान्य जनता के लिए है। उन्होंने कहीं भी चीन की सीमा पर तैनात भारतीय सेना हटा कर केवल मंत्रोच्चारण करें, ऐसा नहीं कहा; परंतु किसी के वक्तव्य को तोड़मरोड़ कर हिन्दुत्वनिष्ठों को अपकीर्त करने के आदी दुआ जैसे पत्रकार यहां पर भी उसी कुटिल नीति का उपयोग कर रहे हैं !

६. शारीरिक व्याधि में औषधियां लेनी पडती हैं, जबकि मानसिक व्याधि में औषधियों के साथ समादेश (सलाह) एवं स्वयंसूचनाएं लेनी पडती है। विज्ञान में भी सूक्ष्म को प्रभावशाली कहा जाता है; परंतु ये पुरोगामी लोग मंत्रशक्ति का किसी भी प्रकार का शास्त्रीय अध्ययन किए बिना उसके संदर्भ में अयोग्य वक्तव्य करते रहते हैं। भारत में मंत्रोपासना के ज्ञाता अनेक योगी हैं; परंतु वे अपनी सिद्धियों का जादूगरों के समान प्रदर्शन नहीं करते। सनातन के रामनाथी, गोवा के आश्रम में तमिलनाडु के पू. रामभाऊस्वामीजी ने मंत्रोच्चारण करते हुए अपने शरीर को धधगते अग्निकुंड पर झोंक दिया। इसका व्हीडियो भी उपलब्ध है ! अतः मंत्रोच्चारण का उपहास करनेवाले ये पुरोगामी उनकी भांति स्वयं केवल ५ मिनट के लिए धधगते अग्निकुंड पर लेटने की चुनौती स्वीकार करें !

७. वैज्ञानिक प्रयोगों से उचित निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए जिस प्रकार से अनेक उपकरणों की अथवा विशिष्ट तापमान की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार से मंत्रोच्चारण के लाभ हेतु वहां का वातावरण सात्त्विक होना आवश्यक होता है। मंत्रोच्चारण करनेवाले का उच्चारण शुद्ध होना आवश्यक होता है, साथ ही मंत्रोच्चारण करनेवाले में मंत्र के प्रति आस्था आवश्यक होती है। केवल ऐसा होने पर ही मंत्र का फल मिलता है। ये पुरोगामी इस बात को समझ ही नहीं लेते !

अंत में इन पुरोगामियों से एक ही प्रश्‍न करने की इच्छा होती है कि, अन्य समय पर ये लोग किसी भी आंदोलन में हिन्दुत्वनिष्ठों को ‘हिंसक एवं आक्रमणकारी’ सिद्ध करने पर तुले हुए होते हैं ! अब संघ के नेता श्री. इंद्रेश कुमार जनता को घर बैठे मंत्रोच्चारण करने का आवाहन कर रहे हैं, तो ऐसे में ये लोग हिन्दुओं को मूर्ख एवं अंधविश्‍वासी ठहराने का प्रयास क्यों कर रहे हैं ?

इससे हमें यह ध्यान में लेना चाहिए कि हिन्दू चाहे कितना भी अच्छा कार्य करें, ये पुरोगामी उसका विरोध ही करेंगे ! भारतीय सेना जब कश्मीर में पथराव करनेवालों के विरोध में पैलेट गन का उपयोग कर रही थी, तब यही पुरोगामी उसको जनता विरोधी हिंसा कहकर उसका विरोध कर रहे थे। यही लोग आतंकी याकूब मेमन को फांसी न दी जाए; इसलिए सर्वोच्च न्यायालय में प्रातः ३ बजे सुनवाई करने का आग्रह कर रहे थे। वास्तव में भारत के स्वातंत्र्य हेतु अनगिनत क्रांतिकारकों ने योगदान दिया, बलिदान दिया; परंतु ये पुरोगामी समाज में ‘केवल गांधी के चरखे के कारण ही भारत को स्वतंत्रता मिली’,ऐसा अंधविश्‍वास फैलाते हैं, उनको हिन्दू धर्म के किसी भी शास्त्र की आलोचना करने का अधिकार ही नहीं है !

 – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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