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व्रत

मनुष्य जन्मका मुख्य ध्येय है, प्रतिदिन साधना कर आनंदप्राप्ति अर्थात ईश्वरप्राप्तिके लिए प्रयास करना । परंतु मनुष्य इस ध्येयको भूल जाता है । मनुष्यको अपने जीवनके उदात्त ध्येयका स्मरण रहे, इसलिए हमारे ऋषिमुनियोंने जीवनका आध्यात्मीकरण करनेके विविध मार्ग बताए हैं, व्रत उन्हींमें एक है । व्रत एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक कृत्य है । आषाढ शुक्ल एकादशीसे ‘चातुर्मास’ प्रारंभ होता है । चातुर्मासमें अधिकाधिक त्यौहार एवं व्रत आते हैं । सामान्यजनोंके लिए वेदानुसार आचरण करना अत्यंत कठिन है । इस कठिनाईको दूर करने हेतु पुराणोंमें ऐसे व्रतवैकल्य बताए गए हैं, जिन्हें आचरणमें लाना सभीके लिए सुलभ होता है तथा उनसे सभीका उद्धार होता है ।

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