हाल ही में हुए बैंगलुरु दंगों के पीछे ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) के राजकीय संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) का नाम सामने आया है। कर्नाटक के मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा ने कहा कि, SDPI एक राष्ट्रविरोधी संगठन है, हम इसपर प्रतिबन्ध लगाने का विचार कर रहे हैं। ‘नागरिकता संशोधन विधि’के विरुद्ध हिंसा फैलानेवाले प्रकरण में उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग ने जिहादी संगठन ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ्.आय.) के १०८ कार्यकर्ताओं को बंदी बनाया । पी.एफ्.आई.संगठन उत्तर प्रदेश के संभल, मुजफ्फरपुरनगर, लक्ष्मणपुरी एवं शामली इन जनपदों में सक्रिय है । ‘नागरिकता संशोधन विधि’के विरुद्ध उत्तर प्रदेश में दंगें कराने तथा तोडफोड करने में इस संगठन के सदस्य सक्रिय हैं । हाल ही में बिजनौर से ५ लोगों को बंदी बनाया गया । ये सदस्य शाहीनबाग आंदोलन को भडकाने, आंदोलनकारियों को क्षुब्ध बनाने में, साथ ही आंदोलन के लिए आर्थिक सहायता का प्रबंध करने में सक्रिय थे । इस संगठन के कार्यकर्ताओं ने ‘नागरिकता संशोधन विधि’ एवं ‘राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण’ अभियान के विरुद्ध लोगों को भडकाने का काम किए जाने के प्रमाण मिले हैं । इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे पहले ही केंद्र शासन से संगठन पी.एफ्.आई. पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है ।
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देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्त ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) तथा SDPI पर प्रतिबन्ध लगाए !
‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ एक कट्टर इस्लामिक संगठन है तथा वर्ष २००६ में इसकी स्थापना की गई थी । देश में प्रतिबंधित आतंकी संगठन ‘सिमी’के आतंकियों ने पी.एफ्.आई.के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिए जाने की घटनाएं सामने आई थीं । इस संगठन के केरल के कार्यकर्ता ‘इसिस’के लिए काम करते हैं, साथ ही ’एन्आईए’के पास इस संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा ‘लव जिहाद’के लिए प्रोत्साहन दिए जाने के प्रमाण हैं । वर्ष २०१० में इस संगठन के कार्यकर्ताओं ने इस्लाम पंथ के प्रेषित के विरुद्ध वक्तव्य देने के कारण प्रोफेसर टी.जे. जोसेफ का हाथ तोड दिया था । इस संगठन के अनेक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध भाजपा, संघ, साथ ही हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं की हत्या के आरोप हैं । पी.एफ्.आई. जैसे संगठनों के माध्यम से जिहादी गतिविधियां करनेवालों पर समय रहते ही लगाम नहीं लगाई गई, तो आगे जाकर देश में आतंकी गतिविधियों में वृद्धि ही होती रहेगी । अतः देश में विधि-व्यवस्था को बनाए रखने हेतु ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ।
जहरीला संगठन ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) !
सुधारित नागरिकता विधेयक पारित होने से लेकर देहली, उत्तर प्रदेश, बंगाल एवं असमसहित देश के कुछ स्थानोंपर इस विधेयक का हिंसक विरोध हो रहा है । यह विरोध पथराव, आगजनी, सार्वजनिक संपत्ति की हानी, पुलिसकर्मियों को गंभीर रूप से घायल करने, पेट्रोल बम का उपयोग करने आदि प्रकार से बडी मात्रा में किया जा रहा है । इससे स्वाभाविक ही सर्वसाधारण व्यक्ति के मन में यह विचार आता है कि लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने से लेकर आजतक हो रही हिंसा इतनी योजनाबद्ध तरीके से कैसे हो रही है ? अब धीरे-धीरे इन प्रश्नों का रहस्यभेदन हो रहा है । गुप्तचर विभाग द्वारा गृहमंत्रालय को सौंपे गए ब्यौरे में कहा गया है कि ये हिंसक घटनाएं एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधेयकयां चलाने के पीछे धर्मांधों का प्रतिबंधित संगठन ‘इस्लामिक स्टुडेंट्स मुवमेंट ऑफ इंडिया (सीमी) एवं वर्तमान में दक्षिण भारत में कार्यरत धर्मांध संगठन पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ है । सीमीपर पिछले कुछ वर्षों से प्रतिबंध होते हुए भी महाराष्ट्र के मराठवाडासहित देशभर में अभी भी उनकी जडें मिल रही हैं । इससे धर्मांध देशद्रोही संगठनोंपर प्रतिबंध लगाते समय ही उन्हे जड से उखाड फेंकना चाहिए और वर्तमान सरकार यह कार्य कर ही रही है । अब रहा प्रश्न पी.एफ्.आई. (PFI) का ! पी.एफ्.आई. (PFI) परदे के पीछे से मार्क्सवादी दल के जुडा संगठन है । विगत कुछ वर्षों से पी.एफ्.आई. (PFI) की देशविरोधी गतिविधेयकयां बढती ही जा रही हैं और अब उसपर योजनाबद्ध तरीके से लगाम लगाने की आवश्यकता है । सुधारित नागरिकता विधेयक के विरुद्ध धर्मांधों की जो हिंसा चल रही है, उससे पी.एफ्.आई. (PFI) पर लगाम लगाने की आवश्यकता ध्यान में आएगी ।
पी.एफ्.आई. (PFI) की जडें !
केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के उपरांत सीमी ने अपने संगठन का पुनर्निर्माण आरंभ किया है । उसने दक्षिण भारत के पी.एफ्.आई. (PFI) के बैनरतले राष्ट्रविरोधी गतिविधेयकयों के लिए एकत्रित होने का प्रयास आरंभ किया है । पी.एफ्.आई. (PFI) ने भी सीमी को अभय देने का निर्णय किया गया है, ऐसा बोला जा रहा है । कुछ दिन पूर्व एक समाचारवाहिनी ने पी.एफ्.आई. (PFI) का स्टिंग ऑपरेशन किया था । उसमें उसके द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रघातक कार्यवाहियों के संदर्भ में यह ध्यान में आया था कि हिन्दुओं के धर्मांतरण में क्रियाशील पी.एफ्.आई. (PFI) को बडी मात्रा में हिन्दुओं का धर्मांतरण कर भारत (और विश्व) को भी इस्लामी देश बनाना है । इस योजना को पूर्ण करने का काम ‘सत्यसारिणी’ नामक संस्था बहुत ही जोरों से कर रही है । अभीतक सत्यसारिणी ने सहस्रों हिन्दुओं को बलपूर्वक अथवा लालच देकर इस्लाम में धर्मांतरित किया । उनके द्वारा धर्मांतरिक घोषित संख्या भले ही ५ सहस्र हो; परंतु घोषित नहीं की गई संख्या उससे भी अधिक होने की संभावना को अस्वीकार नहीं किया जा सकता । इस संस्था में लोगों को भेजे जानेपर उनका समुपदेशन, ब्रेन वॉशिंग और मुसलमानों के साथ किए जा रहे कथित अत्याचारों की चित्रचक्रिकाएं दिखाकर उनका धर्मांतरण किया जा रहा है । केरल में हादिया नामक लडकी के लव जिहाद के प्रकरण की जांच में राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग (एन्आईए) को सत्यसारिणी एवं पी.एफ्.आई. (PFI) की गतिविधेयकयां ध्यान में आई हैं । एन्आईने लव जिहाद के ११ प्रकरणों की जांच की । उनमें से ९ प्रकरणों में मरकज हिदाया दावा इन्स्टिट्यूट के नाम से जाने जानेवाले सत्यसारिणी का सहभाग सामने आया । इन पीडितों को सत्यसारिणी अध्ययन केंद्र में २ महिनों का धार्मिक पाठ्यक्रम सिखाने के लिए भेजा गया था । एन्आईए द्वारा केरल की लव जिहाद के प्रकरणों में से ३ प्रकरणों में १३ लोगों को बंदी बनाया गया है और ये सभी लोग पी.एफ्.आई. (PFI) के कार्यकर्ता अथवा समर्थक हैं । अब ‘इन सभी गतिविधेयकयों के लिए पैसा कहां से आता है ?’, यह प्रश्न मन में आना स्वाभाविक है । एन्आईए की जांच में इसके लिए खाडी और इस्लामी देशों से हवाला के माध्यम से पैसों की आपूर्ति हो रही है, यह बात उजागर हुई है ।
पीएफ्आई (PFI) पर प्रतिबंध लगना ही चाहिए !
विगत कुछ वर्षों से पीएफ्आई के धर्मांधों ने कर्नाटक में १५, तो केरल में १७ संघ स्वयंसेवकों की हत्याएं की हैं । एन्आईए ने बेंगलुरू के संघ कार्यकर्ता रुद्रेश की हत्या के पीछे पीएफ्आई का हाथ होने की बात कही थी । इन सभी प्रकरणों में कर्नाटक एवं केरल की पुलिस ने अभीतक किसी भी लापता आरोपियों को नहीं पकडा है, साथ ही पीएफ्आई के विरुद्ध भी कोई कार्रवाई नहीं की है । इतना सब होकर भी केरल की वामपंथी सरकार और कर्नाटक की तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने इन तत्त्वों को सदैव ही संरक्षण दिया है । कर्नाटक में कुछ प्रकरणों में पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई की जा रही है, यह दिखाने के लिए कार्रवाई की और उनके विरुद्ध अवैध गतिविधेयकयां प्रतिबंधक विधेयक (युएपीए) जैसी कठोर विधेयक लगाई; किंतु आरोपपत्र प्रविष्ट करते समय आश्चर्यकारी पद्धति से उस धारा को ही हटाया । उसके कारण न्यायालय ने आरोपियों को प्रतिभूतिपर छोड दिया । इन सभी प्रकरणों से तत्कालीन कांग्रेसी राज्यकर्ताओं की दोहरी नीति ही सामने आती है, जो देश के लिए घातक है । इससे कांग्रेस की राष्ट्रद्रोही वृत्ति भी दिखाई देती है । महत्त्वपूर्ण बात यह कि झारखंड सरकार ने पीएफ्आई के विरुद्ध आतंकी गतिविधेयकयों के लिए धन की आपूर्ति किए जाने के प्रकरण में मनीलौंन्ड्रिंग का अपराध प्रविष्ट किया है । झारखंड सरकार ने क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के अनुसार उसपर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की है । कुल मिलाकर देखा जाए, तो देश में आजकल जल रही हिंसा में सीमी और पीएफ्आई का सहभाग चिंताजनक है । प्रसारमाध्यमों को इस स्थिति को समाज के सामने रखना चाहिए; किंतु वे पीएफ्आई एवं उससे पीछे चली आ रही राजनीतिपर मुंहपर ताला लगाए खडे हैं । आज केंद्रीय गृहमंत्रालय को पीएफ्आई की राष्ट्रघातक गतिविधेयकयों को देखते हुए उसपर प्रतिबंध ही लगाना चाहिए, केवल इतना ही अपेक्षित है !
On this #RepublicDay2020, we urge @PMOIndia led by Hon PM @narendramodi ji and @HMOIndia led by Hon @AmitShah ji to ban organisations like PFI, that are spreading violence across the country !#BanPFI to make India Safe !
Ref : https://t.co/WZNYoxtQwK pic.twitter.com/CfLuavA3W4
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) January 26, 2020
Looking at the security threats posed by PFI to India, we urge @HMOIndia, Hon HM @AmitShah ji & Hon PM @NarendraModi ji to ban PFI throughout India immediately.
Jharkhand has already banned it & now UP Govt led by @myogiadityanath has also demanded the same.
#BanPFI pic.twitter.com/cSFa9byX47
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) January 3, 2020
Kerala christian professor TJ Joseph's hand chopped off by PFI, bcoz he used Mohd. name in exam.@HMOIndia @dgpup#BanPFI #ModiShah @HinduJagrutiOrg @excomradekerala@PrinceArihan @Koenraad_Elst pic.twitter.com/lPXgtXBchd
— ? Ramesh Shinde ?? (@Ramesh_hjs) January 3, 2020
#BanPFI : राष्ट्रविरोधी गतिविधियां करनेवाले ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ पर प्रतिबन्ध की मांग
CAA के विरोध में उत्तरप्रदेश में धर्मांधाें ने किए हिंसा में जिहादी संगठन ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’का (पी.एफ्.आय.) सहभाग होने की बात सामने आनेपर उप्र. राज्य के पुलिस महासंचालकाें ने राज्य सरकार को इस संगठन पर प्रतिबन्ध की मांग की है । इसी के मद्देनगर राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने PFI पर जल्द ही प्रतिबन्ध लगाया जाएगा, ऐसे कहा है । झारखंड राज्य ने पहले ही इस संगठन पर प्रतिबन्ध लगाया है । उत्तरप्रदेश में अब तक पी.एफ्.आय.के २० कार्यकर्त्यांओं को हिंसा करने के आरोप में बन्दी बनाया गया है । इसमें कुछ प्रमुख अधिकारीयों का भी समावेश आहे ।
‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ का इतिहास देखा जाए तो यह संगठन लव्ह जिहाद, हिन्दुओं का जबरन इस्लाम में धर्मांतरण, हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्या ऐसे कृत्यों में संलिप्त रहा है । केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबन्ध लगाए गए ‘सिमी’ इस जिहादी आतंकवादी संगठन के अनेक अधिकारी अब इस ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’के माध्यम से कार्यरत है, ऐसे कुछ पुलिस अधिकारीयों का कहना है ।
इस परिस्थिति को देखते हुए अनुसरून आज ट्विटर के माध्यम से अनेक राष्ट्रप्रेमींयों ने देश की सुरक्षा को खतरा होनेवाले PFI पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए, ऐसी जोरदार मांग की । इस विषय के संदर्भ में ट्विट्स करते हुए #BanPFI यह हॅशटॅग का उपयोग किया गया । अधिक पढ़े
Watch : पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के बारे में बोलते हुए डॉ सुब्रमण्यम स्वामी जी
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