मार्गशीर्ष शु. १/२, कलियुग वर्ष ५११४
फोंडाघाट (सिंधुदुर्ग) के हिंदू जनजागृति समितिके वैद्य नितिन ढवणके प्रबोधनका परिणाम
अखिल भारतीय स्तरपर हस्तपत्रकोंका वितरण रोका गया
कणकवली (महाराष्ट्र), १३ दिसंबर (समाचारसंस्था) – ‘डॉ. रेड्डीज्’ प्रतिष्ठानद्वारा ‘कब्ज’ की समस्याको हल करने हेतु बनाई गई नई औषधि ‘गटफील’ की प्रसिद्धिके लिए छापे गए हस्तपत्रकोंमें हिंदुओंके आराध्यदेवता प्रभू श्रीरामका विडंबनात्मक चित्र रेखांकित किया गया था । यह बात कणकवली तहसीलके फोंडाघाटके वैद्य तथा हिंदू जनजागृति समितिके श्री. नितिन ढवणके ध्यानमें आते ही उन्होंने औषधिकी प्रसिद्धि हेतु उनके पास आए प्रतिष्ठानके प्रतिनिधिका भली-भांति प्रबोधन किया तथा यह बात हिंदू जनजागृति समितिको बतानेपर होनेवाले परिणामोंसे उन्हें अवगत कराया । इससे भयभीत होकर उस प्रतिनिधिने अपने वरिष्ठ अधिकारियोंको आमंत्रित कर वैद्य ढवणसे उनकी भेंट करवाई । वैद्य ढवणने उस अधिकारीको (क्षेत्रीय प्रबंधक) देवी-देवताओंका अनादर तथा हिंदू जनजागृति समितिद्वारा इस अनादरके विरोधमें किए गए कार्यकी जानकारी दी । विषयकी गंभीरताको ध्यानमें लेकर अपनी चूकका भान होनेवाले उस अधिकारीने वैद्य ढवणसे क्षमायाचना की एवं ‘भविष्यमें ऐसी चूक पुनः नहीं करेंगे’, ऐसा कहकर हस्तपत्रक अखिल भारतीय स्तरपर हटानेका आश्वासन दिया ।
हस्तपत्रकमें किया गया अनादर
पूर्णतः अंग्रेजीमें बनाए गए हस्तपत्रकके प्रथम पृष्ठपर ‘रावणको मारने हेतु रामने fिकतने बाण प्रयुक्त किए ?’ ऐसा प्रश्न किया गया है । इस प्रश्नके नीचे हाथमें अनेक बाण धारण किया हुआ एक व्यंगचित्र है । तथा ‘इस प्रश्नके अचूक उत्तरके लिए अंदरके पृष्ठपर दृष्टिक्षेप करें’ लिखा हुआ था । हस्तपत्रकके अंदर बाई ओर प्रभु श्रीरामजीको कोट धारण किए हुए, गलेमें ‘स्टेथेस्कोप’ डालकर हाथोंमें ‘गटफिल’ बाणसे युक्त धनुष्यबाण धारण किए हुए दर्शाया गया है तथा उनके समक्ष दाई ओरके पृष्ठपर रावणके रूपमें ‘कान्स्टिपेशन’ (कब्ज) बीमारी दिखाई गई है । इसका अर्थ यह कि प्रभु श्रीरामने ‘कब्ज’ रूपी रावणको मारने हेतु ‘गटफील’ रूपी बाणोंका उपयोग किया है, ऐसा दर्शाया गया है । तत्पश्चात हस्तपत्रकके अंतिम पृष्ठपर ‘आपके गटफीलपर विश्वास रखें, इस दशहरेके अवसरपर कब्जको मारें’, ऐसा लिखा था ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात