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पुणा में सामाजिक जालस्थलों (Social Media) द्वारा विहंगम मार्ग से अमृतमहोत्सव का प्रचार

पुणे : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के निमित्त ‘वॉटस् अ‍ॅप’, ‘ट्विटर’ तथा ‘फेसबुक’इन सामाजिक जालस्थलों के माध्यम से अमृतमहोत्सव तथा हिन्दु राष्ट्र के संदर्भ में अनेक संदेश पर लेख प्रसारित किए जा रहे हैं । पुणा जनपद में ‘वॉटस् अ‍ॅप’ के माध्यम से अभीतक १३० समुहों में ११ सहस्त्र ३०० लोगों को जानकारी भेजकर प्रसार किया गया । ‘फेसबुक’ के माध्यम से २६ लक्ष ५० सहस्त्रों से अधिक लोगों तक प्रसार किया गया । ‘ट्विटर’ इस संकेतस्थल से #hidurashtra इस ‘हॅशटॅग’ द्वारा अक्षय्य तृतीय के दिन अर्थात् २८ अप्रैल को ‘ट्रेंड’ चलाया था । यह ‘ट्रेंड’ ३४ लक्ष लोगों तक पहुंचा है ।

भारत देश में रामराज्य स्थापित करने के लिए साधना की अत्यंत आवश्यकता ! – डॉ. ज्योती काळे

आंबेगाव, पुणे में ‘साधना तथा हिन्दु राष्ट्र की आवश्यकता’ इस प्रवचन को उत्स्फूर्त प्रतिसाद

पुणे : परात्पर गुरु डॉ. आठवले के अमृत महोत्सव के निमित्त ‘हिन्दु राष्ट्र जागृति अभियान’ के अंतर्गत यहां के श्री गोरक्षनाथ मठ में २९ अप्रैल को ‘साधना तथा हिन्दु राष्ट्र की आवश्यकता’ इस विषय पर समिति द्वारा आयोजित किए गए प्रवचन में हिन्दु जनजागृति समिति की डॉ. ज्योती काळे मार्गदर्शन कर रही थी । अपने मार्गदर्शन में उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि,‘यदि हम सभी की ऐसी इच्छा है कि, भारत में हिन्दु राष्ट्र अर्थात् रामराज्य स्थापित हो, तो प्रत्येक व्यक्ति को साधना करने की अत्यंत आवश्यकता है । आज आतंकवाद, नक्सलवाद, इसिस का सामना करने हेतु ‘वसुधैव कुटुंबकम’ इस तत्त्व पर आधारित हिन्दु राष्ट्र स्थापन करने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठों को सिद्ध होना चाहिए ।’ इस प्रवचन का लाभ ६० जिज्ञासुओं ने ऊठाया ।

उस समय डॉ. काळे ने यह भी बताया कि, ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवले ने शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति हेतु ‘गुरुकृपायोग’ नाम का साधनामार्ग निर्माण किया है । इसलिए अन्य किसी भी साधना मार्ग की अपेक्षा इस मार्ग से शीघ्र गति से आध्यात्मिक प्रगति होती है । सहस्त्रों साधकों ने इस की अनुभूति ली है । उस समय उन्होंने राष्ट्ररक्षा एवं धर्मजागृति हेतु क्या कृत्य करना चाहिए, साथ ही हिन्दु राष्ट्र की आवश्यकता एवं हिन्दुसंगठन के संदर्भ में भी मार्गदर्शन किया गया ।

क्षणिकाएें

१. प्रवचन के पश्चात् अनेक लोगों ने साधना के संदर्भ में शंका पूछकर उनका निरसन भी किया ।

२. आयोजकों ने मार्गदर्शन के लिए समिति को पुनः आंमत्रित किया ।

३. सनातन के सात्त्विक उत्पादनं तथा ग्रंथ प्रदर्शनी भी कार्यस्थल पर आयोजित की गई थी ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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