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केरल राज्य में बढता हुआ हिन्दू जनजागृति समिति का प्रसारकार्य !

हिन्दू जनजागृति समिति का प्रसारकार्य !

१. एर्नाकुलम में एक संघटन की मासिक बैठक में धर्माचरण के कुछ सुलभ कृत्यों के संदर्भ में दूसरी बार प्रवचन !

एर्नाकुलम् के एडवनक्काड एवं वैप्पिन में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से प्रवचनों का आयोजन किया गया था। इस क्षेत्र के एसएनडीपी नामक जाति के संघटन की बैठक में आयोजकोंद्वारा समिति के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था। इस अवसरपर कु. आदिती सुखटणकर ने धर्माचरण की कुछ सुलभ कृतियों के अंतर्गत कुंकुम लगाने का शास्त्र एवं योग्य पद्धति, एक-दूसरे को नमस्कार करने की पद्धति एवं उसका महत्त्व, साथ ही वास्तूशुद्धि हेतु सुलभ पद्धतियों के संदर्भ में जानकारी दी। ३५ जिज्ञासुओं ने इस प्रवचन का लाभ उठाया। फरवरी २०१७ को भी एक ऐसा ही प्रवचन हुआ था। प्रवचन के पश्‍चात एक वयस्क व्यक्ति ने कुंकुम लगाने की सुलभ पद्धति ज्ञात होने से प्रसन्नता व्यक्त की।

२. गुढीपाडवा के उपलक्ष्य में एर्नाकुलम जिले में व्यापक प्रसार !

२ अ. ‘गुढीपाडवा का महत्त्व एवं हिन्दुओं का नववर्ष दिवस’ इस विषय पर आधारित प्रवचन में अच्छी उपस्थिति !

गुढीपाडवा के उपलक्ष्य में एर्नाकुलम जिले में कुल ३ स्थानोंपर प्रवचनों का आयोजन किया गया था। हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती शालिनी सुरेश ने २ मंदिरों में (शिवमारियम्मन कोविल एवं श्रीगोपालकृष्ण मंदिर) में ‘गुढी पाडवा का महत्त्व एवं हिन्दुओं का नववर्षदिवस’ के संदर्भ में जानकारी दी। दोनों मंदिरों में इन प्रवचनों का २८ लोगों ने लाभ उठाया।

२ आ. ‘गुढीपाडवा एवं कुलदेवता का महत्त्व’ संदर्भपर आधारित प्रवचन का जिज्ञासुओंद्वारा उत्स्फूर्त प्रतिसाद !

समिति की कु. प्रणिता सुखटणकरद्वारा एर्नाकुलम के महालक्ष्मी संकुल में ‘गुढीपाडवा एवं कुलदेवता का महत्त्व’ इस विषय पर लिए गए प्रवचन का २५ लोगों के लाभ उठाया। इसी समय ‘ब्रह्मध्वज का महत्त्व तथा उसे कैसे खडा किया जाता है ?’, इसका प्रात्यक्षिक भी दिखाया गया। उपस्थितों को यह विषय बहुत अच्छा लगा और उन्हों ने जिज्ञासा के साथ अनेक प्रश्‍न पूछकर अपनी शंकाओं का निराकरण करवा लिया।

२ इ. प्रमुख विशेषताएं

१. सनातन प्रभात के एक पाठकद्वारा सनातन संस्थाद्वारा प्रकाशित ‘नामसंकीर्तनयोग’ लघुग्रंथ की प्रतियों को प्रायोजित किया गया तथा महालक्ष्मी संकुल के निवासियों में उपर्युक्त प्रवचनों के पहले १-२ दिन इन प्रतियों का वितरण किया गया।

२. केरल में गुढी पाडवा नहीं मनाया जाता, अपितु काक्कनाड के धर्मशिक्षा वर्ग में आनेवाले जिज्ञासुओं को यह विषय बहुत पसंद आया। उन्होंने गुढी पूजन करने की पद्धति को समझ लिया।

– कु. प्रणिता सुखटणकर, केरल

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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