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महाराष्ट्र में प्रतिमा स्थापित करने हेतु अल्पसंख्यकों के ‘ना हरकत’ शर्त शासन द्वारा निरस्त

हिन्दू जनजागृति समिति एवं अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के विरोध का परिणाम !

केवल आदेश में परिवर्तन नहीं, अपितु ऐसे तुघलकी आदेश निकालनेवालों पर शासन कार्यवाही करे ! क्या आदेश अंतिम करनेवाला अधिकारी मराठी भाषीय नहीं था अथवा क्या वह राज्य की जनता का अपमान करना चाहता था ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात

मुंबई : राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा २ मई को राष्ट्रपुरुष एवं महान व्यक्तियों की प्रतिमा स्थापित करने हेतु ली जानेवाली अनुमति के मार्गदर्शक तत्व सार्वजनिक करने के संदर्भ में आदेश निकाले गए थे । इसमें ‘राज्य में प्रतिमा स्थापित करने हेतु अल्पसंख्यकों द्वारा लिखीत ‘ना हरकत प्रमाणपत्र’ लाया जाए, ऐसा कहा गया था’ । शासन के इस निर्णय पर हिन्दू जनजागृति समिति, हिन्दू विधिज्ञ परिषद एवं अन्य विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा विरोध दर्शाया गया । इसके परिणाम के रूप में सामान्य प्रशासन विभाग ने ६ मई को नई अधिसूचना प्रसिद्ध की, इस में यद्यपि शासन ने प्रतिमा स्थापित करने हेतु अल्पसंख्यकों की ‘ना हरकत’ की शर्त को रद्द करते हुए प्रतिमा को स्थानीय लोगों का विरोध न होने का ब्यौरा देने की शर्त वैसी ही रखी गई है, तब भी नए आदेश से भी घोटाला होने की संभावना व्यक्त की जा रही है । (एक अध्यादेश भी भलीभांति निकालने में अकार्यक्षम शासन जनहितकारी राज्यकारभार वैâसे करेगा ? इस ाqस्थति को परिवर्तित करने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ अनिवार्य है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)

प्रतिमा स्थापित करने हेतु परिवर्तित की गई नई धारा

‘प्रतिमा स्थापित करने से भविष्य में कानून एवं सुरक्षा का प्रश्न उत्पन्न नहीं होगा, स्थानीय वाद अथवा जातीय तनाव नहीं बढेगा, इस विषय में विस्तृत रूप से जांच कर संबंधित पुलिस कार्यालय प्रमुख का ‘ना-हरकत प्रमाणपत्र’ प्रस्ताव के साथ संलग्न करना आवश्यक है । उसी प्रकार प्रतिमा स्थापित करने हेतु स्थानीय लोगों का विरोध न होने के विषय में ब्यौरा प्राप्त कर दिया जाना चाहिए ।’

शिवस्मारक के लिए स्थानीय कोळी समाज का विरोध हैे; तो क्या इसलिए शासन प्रतिमा की स्थापना निरस्त करेगा ? – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री.रमेश शिंदे ने अपने प्रसिद्धिपत्रक में ऐसा प्रश्न उपस्थित किया है कि, यद्यपि शासन ने प्रतिमा को स्थानीय लोगोें का विरोध न होने की शर्त वैसी ही रखी है । मुंबई के समुद्र में प्रस्तावित शिवस्मारक के लिए स्थानीय कोळी समाज का विरोध है, तो वहां इस सुधारित अधिसूचना के अनुसार क्या सरकार इस शिवस्मारक एवं छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा की स्थापना रद्द करेगी ?

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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