‘बेकार है ये लव जिहाद की बाते’ – अभिनेता सैफ अली खान

कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११६

love_Jihad_saifमुंबई – बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान ने “लव जेहाद” को बेकार की बाते कहा है। उन्होंने कहा है कि हिंदू और मुस्लिम के बीच शादी होना जेहाद नहीं है।

उन्होंने लिखा है, “मैं एक खिलाड़ी का बेटा हूं, इंग्लैंड, भोपाल, पटौदी, दिल्ली और मुंबई में पला बढ़ा हूं। मैं हिंदू या मुसलमान होने से ज्यादा एक भारतीय हूं क्योंकि मुझे पता है कि मैं दोनों ही हूं। मैं लोगों पर या देश और गांव में सांप्रदायिकता पर टिप्पणी के लिए नहीं लिख रहा हूं, इसके पीछे कारण वह एक मुद्दा है जो मेरे दोस्तों और उनके परिवार से जुड़ा है।”

मां-बाप की शादी का जिक्र

“जब मेरे मां-बाप ने शादी करने का फैसला किया था तो यह किसी के लिए आसानी से मानने वाली बात नहीं थी। राजशाही परिवार के अपने मसले थे और ब्राह्मण परिवार के अपने। वास्तव में दोनों तरफ के अतिवादी लोगों से जान का खतरा था। लेकिन तब भी शादी हुई। हम लोग असल जिंदगी की प्रेम कहानी के बीच बडे हुए, हमारे अपने बड़ों ने प्यार के लिए शादी की, परंपराओं के बारे में ज्यादा चिंतित नहीं हुए। हमलोगों को इस बात में विश्वास है कि ईश्वर एक है पर उसके नाम कई हैं।”

करीना कपूर से शादी

“जब मैं और करीना ने शादी की तब भी वैसे ही जान के खतरे थे। इंटरनेट पर लोग लव जेहाद को लेकर बेतुकी बातें कर रहे हैं। हम लोग उस धर्म या आध्यात्मिक बातों को मानते हैं, जिसमें हमारा विश्वास है। हम दोनों उनके बारे में बातें करते हैं और एक दूसरे के विचारों का सम्मान करते हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे बच्चे भी ऎसा ही करेंगे।”

“मैंने चर्च में प्रार्थना की है और करीना के साथ समारोह में शामिल हुआ हूं, जबकि वह दरगाह पर माथा टेकती हैं और मस्जिद में इबादत करती हैं। जब हमलोगों ने अपने नए घर में प्रवेश किया तो हमने हवन भी कराया और कुरान का पाठ भी हुआ। एक पंडित ने पवित्र जल में छिड़के।”

“ईश्वर के नाम पर कई पाप”

“धर्म क्या है? आस्था क्या है? क्या इसकी कोई पूर्ण परिभाषा है? मुझे नहीं पता। लेकिन मुझे संदेह के बारे में पता है। मेरे अंदर इससे एक कौतूहल पैदा होती है। संदेह हमें विश्वास देता है। संदेह के कारण ही हम लगातार सवाल करते रहते हैं जो हमें संजीदा रखता है। अगर हम किसी के बारे में आश्वस्त हो जाते हैं तब वहां कट्टर हो जाने का खतरा पैदा हो जाता है।”

“धर्म को कई चीजों से अलग रखने की जरूरत है। हमारे धर्म भय पर आधारित हैं। “द ओल्ड टेस्टामेंट” में लोगों को एक पवित्र जमीन देने की बात कही गई है जबकि वहां तो पहले से ही लोग रह रहे हैं। वह आज भी समस्या की जड़ बनी हुई है। ईश्वर के नाम पर कई पाप किए गए हैं।”

मुस्लिमों से शादी करने से क्यों डरते हैं लोग

“मुझे पता है कि अच्छे लोग अपनी बेटियों की शादी मुस्लिमों से करने से डरते हैं। वे बेटी के धर्मातरण, जल्द तलाक और अनेक विवाह जैसी बातों से डरते हैं क्योंकि यह लड़कियों से ज्यादे लड़कों के फेवर में है। नि:संदेह ये बातें पुरानी हो चुकी हैं। इस्लाम को सबसे ज्यादा आधुनिक होने की जरूरत है और स्वयं को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए बदलाव जरूरी है। हमें अच्छाई औरी बुराई के बीच फासले के लिए आवाज उठाने की भी जरूरत है।”

धर्म पर सैफ का नजरिया

“इस्लाम पहले जितना प्रसिद्ध था अब उतना नहीं रहा, यह मेरे लिए सबसे बड़ी शर्मिदगी की बात है क्योंकि मैं हमेशा इस्लाम को चांद, रेगिस्तान, हस्तलिपि, उड़ती कालीन से जोड़कर सोचता हूं। मैं हमेशा इसे एक शांति और समर्पण वाला धर्म मानता रहा हूं। जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ वैसे वैसे देखा कि धर्म पेचिदा होता गया और उसका बुरी तरह से इस्तेमाल किया जाने लगा। इस कारण से मैंने लोगों के बनाए सभी धर्मो से दूरी बना ली। मैं खुद को एक आध्यात्मिक शख्स के तौर पर स्वीकार करता हूं।”

“लव जेहाद” क्या होता है”

“सबसे अच्छी खबर तो यह है कि किसी को शादी करने के लिए अपना धर्म बदलने की जरूरत नहीं होती है। भारत तो हिंदू, मुस्लिम और कई धर्म से मिलकर बना है। आधुनिक भारत में सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि हम अपने इतिहास को भूलते जा रहे हैं। मुझे नहीं पता कि “लव जेहाद” क्या होता है। देश में यह एक जटिल समस्या पैदा कर दी गई है।”

आदाब और नमस्ते करना एक साथ सीखा

“मुझे अंतरजातीय विवाहों के बारे में पता है क्योंकि मैं भी उनमें से ही एक का बेटा हूं और मेरे बच्चे भी वैसे ही होंगे। अंतरजातीय विवाह जेहाद नहीं है। अ ंतरजातीय विवाह भारत है, भारत मिले जुले समाज का एक रूप है। अंबेडकर ने भी कहा है कि जातीवाद को अंतरजातीय विवाह से खत्म किया जा सकता है। इन विवाहों से ही भविष्य के सच्चे भारतीय देश को सही दिशा में आगे ले जा सकते हैं। मैं भी अंतरजातीय विवाह का ही प्रमाण हूं। मेरे पूरी जिंदगी में ईद, होली, दीवाली के रंग भरे पडे हैं। हमे एक ही साथ आदाब और नमस्ते करना सिखाया गया है।”

एक दूसरे से प्यार करने की जरूरत

सैफ आगे लिखते हैं, “यह दुख की बात है कि धर्म को मानवता और प्यार से ज्यादा अहमियत दी जाने लगी है। मेरे बच्चे जन्म से मुस्लिम हैं लेकिन उनका रहन सहन एक हिंदू की तरह है। अगर वह बौद्ध धर्म अपनाना चाहें तो मेरा आर्शीवाद उनके साथ है। हम लोग मिश्रित हैं, यह महान देश हमारा है। ये तो हमारी अपनी दूरियां हैं जिससे हमे यह एहसास दिलाता है कि हम क्या हैं। हमे इससे आगे बढ़कर सोचने की जरूरत है, हमें दूसरों को स्वीकार करने, उसका सम्मान करने और एक दूसरे से प्यार करने की जरूरत है।”

“मुझे लगता है कि पूरे देश के लोगों के लिए एक ही कानून होना चाहिए, सबसे लिए एक ही नागरिक आचार संहिता होनी चाहिए। हम सबको एक राष्ट्र के तौर पर सोचना चाहिए। सभी धर्म उसके बाद आने चाहिए। हम अपने बच्चों को ईश्वर और उसके हजारों नामों के बारे में बताएं लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि उनको यह भी बताएं कि वह अपने साथ वाले शख्स को सम्मान दे और प्यार करें। यह काफी महत्वपूर्ण है।”

स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका


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