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आंदोलनस्थल रिक्त करनेके नागपुर खंडपिठके निर्णयसे आंदोंलकोंकी असुविधा !

मार्गशीर्ष शु. ६, कलियुग वर्ष ५११४

हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंको भी शासनके अस्त-व्यस्त कार्यभारका झटका !

नागपुर, १६ दिसंबर (संवाददाता) – शीतकालीन अधिवेशनके निमित्त विभिन्न मांगोंके लिए राज्यके कोने-कोनेसे भारी संख्यामें आंदोलक नागपुरमें प्रविष्ट हुए । इस संदर्भमें पथसे आने-जानेवालोंको कष्ट होते हैं, इस कारण प्रविष्ट की गई जनहित याचिकापर उच्च न्यायालयके नागपुर खंडपिठद्वारा सर्व आंदोलनोंके मंडप हटानेके आदेश शासनको दिए गए । उसपर शासनने भी त्वरित कार्यवाही की । इससे अधिवेशनकालमें विभिन्न समस्याओंका समाधान निकालनेके लिए आए आंदोलक निर्वासित हुए । मंडप निकालनेकी कार्यवाही तत्परतासे की गई; परंतु उन्हें पर्याप्त स्थान दिए बिना ही वहांके मंडप हटाए गएं । अतः अनेक आंदोलकोंको असुविधा हुई और वे पथपर आ गए । आंदोलन करनेके लिए स्थान उपलब्ध न होनेके कारण प्रस्तावित अंधश्रद्धा निर्मूलन कानूनके विरोधमें वारकरी संप्रदाय एवं समस्त हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंद्वारा १७ दिसंबरको किया जानेवाला धरना आंदोलन निरस्त कर १८ दिसंबरको करनेका निश्चित किया गया है । आंदोलन हेतु पुनः अनुमति प्राप्त करना अथवा अन्य विषयोंके कारण शासकीय तंत्रके अस्त-व्यस्त कार्यभारका झटका हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंको भी लगा ।

आजतक अधिवेशनके समय यहांके आयबी आय क्वॉर्टर से हिस्लौप महाविद्यालयतकके पदपथपर आंदोलन किए जाते थे; परंतु नागपुर खंडपिठके आदेशके अनुसार आंदोलनकी पूर्वनियोजित अनुमति निरस्त हुई । प्रस्तावित अंधश्रद्धा निर्मूलन कानूनके विरोधमें वारकरी संप्रदाय एवं समस्त हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंने आंदोलन हेतु पुनः नए उत्साहसे १८ दिसंबरको आंदोलनके लिए अनुमति मांगी । इसलिए हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ता शासकीय अधिकारीके पास गया । तब उस अधिकारीने अपना उत्तरदायित्व निभानेके अतिरिक्त यह बताया कि,‘‘यह विषय अब हमारे हाथमें नहीं हैं । अतः मॉरिस महाविद्यालयके पास अनुमति मांगे ।’’ इसलिए कार्यकर्ता महाविद्यालयकी अनुमति मांगने गया, तो इतवारके कारण महाविद्यालयका कार्यालय बंद था । इन सर्व प्रकारोंको देखकर यही ध्यानमें आता है, शासन जनताकी समस्या दूर करनेकी अपेक्षा उसमें अनेक बाधाएं निर्माण कर जनताको अकारण कष्ट दे रहा है ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात 

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