कार्तिक कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
इस्लामाबाद – पाकिस्तान के पूर्व फौजी तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने बहुत ही आपत्तिजनक बयान दिया है। मुशर्रफ ने कहा है कि अगर भारत हमारे ऊपर पत्थर फेंकता है तो हमें भी ईंट फेंकना चाहिए। मुशर्रफ के मुताबिक, ‘पाकिस्तान सेना के अलावा हमारे पास भारत को जवाब देने के कई तरीके हैं। कश्मीर के अंदर काफी लोग भारत के खिलाफ हैं, हमें सिर्फ उन्हें भड़काना है। कश्मीर की स्थिति ऐसी है कि वहां हिंसा भड़काई जा सकती है और पाकिस्तान वहां हिंसा भड़काने में सक्षम है। पाकिस्तान से भी एक लाख लोग भारत के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं। ऐसे में भारत को हमें हल्के में नहीं लेना चाहिए।’ मुशर्रफ यहीं नहीं रुके। उन्होंने भारत के पीएम पर जुबानी हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी एक मुस्लिम और पाकिस्तान विरोधी नेता हैं। इसलिए उनसे बातचीत करते हुए पाकिस्तान सरकार को अपने पत्ते नहीं खोलने चाहिए।’ मुशर्रफ ने कहा कि मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से ब्रिटिश राज के दौर की याद ताजा हो गई। उनके मुताबिक पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को समारोह में नहीं जाना चाहिए था और उनके देश को अपनी प्रतिष्ठा का ख्याल रखना चाहिए था।
फायरिंग से परेशान हैं मुशर्रफ
पिछले कुछ समय से भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी पर हो रही फायरिंग से मुशर्रफ परेशान हैं। उन्होंने एक निजी टीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि पाकिस्तान की अपनी सीमाएं हैं। उन्होंने कहा कि पाक सेना जानती है कि अगर भारत की फायरिंग का जवाब दिया तो इससे कश्मीरी लोग ही निशाना बनेंगे। कश्मीर पर बोलते हुए मुशर्रफ ने कहा कि कश्मीर हमारे देश की प्राथमिकताओं में है और इस मुद्दे पर किसी को भी शक नहीं होना चाहिए। मुशर्रफ ने कहा कि भारत सरकार और सेना को कश्मीरियों की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है।
खुद फंसे हुए हैं मुशर्रफ
मुशर्रफ खुद अपने ही देश में कानूनी पचड़ों में पड़े हुए हैं। बीते मंगलवार को कोर्ट ने उन्हें २००७ में लाल मस्जिद के मौलना अब्दुल राशिद गाजी की हत्या के आरोप में समन भेजा है। समन में लिखा है कि अगर वे कोर्ट में हाजिर नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। मामले की सुनवाई आठ नवंबर को होगी।
इस्लामाबाद की कोर्ट ने मुशर्रफ की खराब सेहत और इस्लामी कट्टरपंथियों की धमकी के चलते कोर्ट में हाजिर न रहने की अपील भी खारिज कर दी है। वर्तमान में वह खराब स्वास्थ्य के कारण जमानत पर छूटे हुए हैं। २००७ में पाकिस्तान में आपातकाल लगाने और जजों को बंधक बनाने को लेकर उन पर देशद्रोह का मामला तय हो चुका है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर