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नंदुरबार : महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियां, साथ ही सप्तश्रृंगी माता मंदिर की स्वच्छता

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति अभियान’ के अंतर्गत मंदिर स्वछता उपक्रम !

नंदुरबार : यहां के महाराणा प्रताप एवं छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतलों की, साथ ही सप्तश्रृंगी माता मंदिर एवं माता भवानी मंदिर की स्वच्छता की गई।

१. ८ मई को महाराणा प्रताप जयंति की पूर्वसंध्यापर शहर के महाराणा प्रताप के पुतले की स्वच्छता कर नगरपरिषद के सहयोग से पानी का बंब लगाकर मूर्ति को धोया गया।

२. शहर के श्री सप्तश्रृंगी माता मंदिर की भी स्वच्छता कर दी गई। इस अवसरपर शिवसेना परिवहन सेना के जिला प्रमुख श्री. जितेंद्र राजपूत के साथ हिन्दू जनजागृति समिति के सर्वश्री डॉ. नरेंद्र पाटिल, मयूर चौधरी, श्रीमती कल्याणी बंगाळ एवं श्रीमती भावना कदम ने सहभाग लिया।

३. ९ मई को छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले की, साथ ही चौपाळा गांव की माता दुर्गा भवानी मंदिर की स्वच्छता की गई। परिसर के सभी श्रद्धालुओं को मंदिर स्वच्छता के संदर्भ में जानकारी दी गई। इस अभियान में यहां के श्रद्धालुओं ने भी क्रियाशील भाग लिया। गांव के पूर्व सरपंच श्री. लालचंद राठोड, संत दगाजीबापू न्यास के श्री. पंडित महाजन ने भी सहयोग दिया। इस अवसरपर सनातन संस्था की श्रीमती भावना कदम एवं हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. नरेंद्र पाटिल उपस्थित थे।

क्षणचित्र : चौपाळा में एक ७८ वर्ष आयु की महिला ने मंदिर स्वच्छता अभियान में सहभाग लिया।

मंदिर स्वच्छता अभियान में भाग लेना धर्मकर्तव्य !

हिन्दुओं के मंदिर चैतन्य के स्त्रोत होते हैं। इस स्त्रोत को यदि सुरक्षित रखा, तभी मंदिर की पवित्रता एवं मंगलता बनी रहती है। ऐसे जागृत मंदिरों में जानेपर अपनेआप भावजागृति हो जाती है। अतः अपने आसपास में स्थित मंदिरों की स्वच्छता में सहयोग देना हिन्दुओं का धर्मकर्तव्य है ! आज के दिन प्रशासनिक यंत्रणा की ओर से मंदिरों के देखभाल की उपेक्षा की जाती है। मंदिरों के पास भी देखभाल के लिए पर्याप्त धन नहीं होता। उससे मंदिरों की नित्य स्वच्छता करने में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसी पार्श्वभूमिपर हिन्दुओंद्वारा ऐसे उपक्रम चलाए गए, तो निश्‍चितरूप से उनको ईश्‍वर के आशीर्वाद प्राप्त होंगे !

समाज में व्याप्त महनिय व्यक्ति अथवा अन्य राजनेता अथवा कलाकार अपने अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में स्वयं को केंद्रस्थान में रखकर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं; किंतु राष्ट्र एवं धर्म हेतु दिन-रात परिश्रम करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ऐसा कुछ न करते हुए वे हिन्दुत्वनिष्ठों को राष्ट्र एवं धर्म हेतु कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। उनकी कृपा से ही इन उपक्रमों एवं अभियानों को सकारात्मक प्रतिसाद प्राप्त हो रहा है। इसके लिए उनके चरणों में जितनी कृतज्ञता व्यक्त करें, अल्प ही है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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