नई देहली : विद्यालयों में भगवद्गीता की पढ़ाई अनिवार्य करने वाला निजी विधेयक संसद के अगले सत्र यानी मॉनसून सत्र में चर्चा के लिए आ सकता है । इसके तहत विद्यालयों में गीता नहीं पढ़ाने वाले संस्थानों की मान्यता रद्द करने का प्रावधान भी किया जाएगा । भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की आेर से पेश विधेयक में कहा गया है कि, भगवद्गीता के सुविचार और शिक्षा युवा पीढ़ी को बेहतर नागरिक बनाएगी और उनके व्यक्तित्व को निखारेंगी ।
शैक्षणिक संस्थानों में भगवद्गीता की आवश्यक पढ़ाई विधेयक-२०१६ में कहा गया है कि, हर शैक्षणिक संस्थान को गीता को अनिवार्य रूप से नैतिक शिक्षा के रूप में पढ़ाना चाहिए । इसमें यह भी कहा गया है कि, यह अल्पसंख्यक विद्यालयों पर लागू नहीं होता । इसमें कहा गया कि, सरकार को ऐसे विद्यालयों की मान्यता समाप्त कर देनी चाहिए, जो इस विधेयक के प्रावधानों का पालन न करें ।
लोकसभा में मार्च में पेश विधेयक में बिधूड़ी ने कहा कि, समय आ गया है कि, गीता की शिक्षा के प्रसार के लिए ईमानदारी से प्रयास किए जाएं । उन्होने कहा कि, यह काफी निंदनीय है कि, इस तरह के महाकाव्य जिसमें सभी आयु वर्गों के लिए असंख्य शिक्षाएं हैं, उनकी अनदेखी हो रही है ।
उन्होंने कहा कि, इस विधेयक को लागू करने के लिए सरकार को ५००० करोड़ रुपये की व्यवस्था करनी होगी । लोकसभा की बुलेटिन में कहा गया है कि, राष्ट्रपति को विधेयक के मसौदे से अवगत करा दिया गया है । सदन से अनुशंसा की जाती है कि, विधेयक को संविधान के अनुच्छेद ११७ के प्रावधान के तहत विचार किया जाए । हालांकि संसद के अगले सत्र की तारीख अभी निर्धारित नहीं की गई है ।
स्त्रोत : झी न्युज