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परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में संत एवं मान्यवरोंद्वारा दिए गए संदेश एवं अभिप्राय !

परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी का ‘अमृतमहोत्सव’ !

स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी की कल्पना में निहित ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना के कार्य हेतु सनातन संस्था वचनबद्ध होनेपर गर्व है ! – श्री. अवधूत वाघ, प्रवक्ता, भाजपा

परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में मैं उनके लिए निरोगी दीर्घायु का चिंतन करता हूं, साथ ही सनातन संस्था को भी शुभकामनाएं देता हूं। समाज को धर्मशिक्षा देने का सनातन संस्था का कार्य प्रशंसनीय है। स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी की कल्पना में निहित ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना कार्य में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना कार्य हेतु सनातन संस्था वचनबद्ध है, यह देखकर आनंद प्रतीत होता है तथा गर्व भी होता है !

परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के ‘हिन्दू राष्ट्र’ की कार्य में हम भी उनके साथ हैं ! – श्री. रणजीत सावरकर, अध्यक्ष, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, मुंबई

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में मैं उनको शुभकामनाएं देता हूं। ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापना के उनके कार्य में हम सभी उनके साथ हैं तथा हम सभी इसके प्रति आश्‍वस्त हैं कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ तो आने ही वाला है ! भारत ‘हिन्दू राष्ट्र’ है और ‘हिन्दू राष्ट्र’ में अहिन्दू भी सुरक्षित रहेंगे। यह ‘हिन्दू राष्ट्र’ सभी मानव जाती के कल्याण हेतु हैं !

परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी ज्ञान के महासागर ! – श्री.जी. राधाकृष्णन, अध्यक्ष,शिवसेना, तमिलनाडू

परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में उनको हार्दिक प्रमाण ! गुरुदेव हमारे प्रेरणास्रोत हैं। गुरुदेव हमें सदैव नामजपादि साधना बताते हैं। वे ज्ञान का महासागर हैं। उनकेद्वारा संकलित ३०० से भी अधिक ग्रंथों के माध्यम से हिन्दुओं को धर्मशिक्षा मिल रही है। उनके पास और ४ सहस्र ग्रंथ सिद्ध होंगे, इतना ज्ञान है ! हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनों का आयोजन किया जाता है। ये अधिवेशन ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापना कार्य में मील का पत्थर हैं। परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के आश्रम में वास्तविक रूप से ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की प्रचिती होती है। वहां पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं है। वहां सभी हिन्दुत्वनिष्ठों के साथ समानता के साथ व्यवहार होता है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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