परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में, कर्नाटक में विविध कार्यक्रमों का आयोजन
हिन्दुओं पर आनेवाली आपत्तियां प्रतिबंधित करने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना अनिवार्य हुआ है ! – श्री. प्रमोद मुतालिक, संस्थापक, श्रीराम सेना
हुब्बळ्ळी (कर्नाटक) : शहर में हिन्दू एकता फेरी का आयोजन किया गया था। श्री दुर्गादेवी के मंदिर से फेरी आरंभ हुई। धर्मध्वज के पूजन के पश्चात उपस्थित धर्माभिमानियों को संबोधित करते हुए श्रीराम सेना के संस्थापक अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक ने कहा कि, ‘परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का यह अमृतमहोत्सवी वर्ष है। ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना करना ही हर हिन्दू संघटन का उद्देश्य निश्चित हुआ है। वहीं श्रीराम सेना का भी उद्देश्य है। प.पू. डॉ. जयंत आठवलेजी मेरे गुरु हैं। उनकी कृपा के कारण ही यह कार्य आरंभ है। समाज में भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार, हिन्दुओं पर आनेवाली आपत्तियों की मात्रा बढ गई है। यह सभी प्रतिबंधित करने के लिए ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना अनिवार्य हुआ है !’ तत्पश्चात यह भव्य फेरी प्रारंभ हुई। इस फेरी में २१५ से भी अधिक धर्माभिमानी हिन्दू सम्मिलित हुए थे।
मर्दानी खेलों के प्रात्यक्षिक, रणरागिणी तथा बालसाधकों का पथक, फेरी का प्रमुख आकर्षण रहा !
फेरी के समय लाठी-दंड शृंखला (नानचाकू) के प्रात्यक्षिक दर्शाए गए। रणरागिणी शाखा का पथक, हिन्दू राजे तथा वीरांगनाओं की वेशभूषा परिधान किए बालसाधक इस फेरी का प्रमुख आकर्षण सिद्ध हुए।
फेरी में सम्मिलित संघटन
अय्यप्पा भक्त वृंद, शिवाजी फाऊंडेशन, स्वामी विवेकानंद संघटन, पर्ल ले आऊट महिला मंडल तथा श्री दुर्गामाता महिला मंडल
उपस्थित मान्यवर
प्रवचनकार श्री. समीर आचार्य, हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद, एस.एस.के. को-ऑपरेटीव बैंक तथा मैत्री मंडल की अध्यक्षा श्रीमती रत्नमाला बदी, सिंडिकेट बैंक के सदस्य श्री. शांतण्णा कडिवाळ
क्षणिका : एक पुलिस फेरी का निरीक्षण कर रहा था। उन्होंने साधकों को संबोधित कर बताया कि, ‘आप अत्यंत अच्छा कार्यक्रम कर रहे हैं !’
शहर के आसपास के धर्माभिमानी हिन्दू भी सम्मिलित
हुब्बळ्ळी शहर के निकट होनेवाले हळियाळ गांव के धर्माभिमानी भी फेरी में सम्मिलित हुए थे। शिग्ली से आए १० धर्माभिमानी भी इस फेरी में सम्मिलित हुए थे।
समाज की ओर से भी फेरी के लिए अर्पण !
१. फेरी के पश्चात सभा के लिए वाहनतल के जगह की आवश्यकता थी। इस वाहनतल के अध्यक्ष अन्य धर्मिय थे। समिति के कार्यकर्ताओं ने उनसे भेंट की तथा उन्हें वाहनतल की जगह सभा लेने के संबंध में पूछने पर उन्होंने त्वरित अपने कार्यकर्ताओं को सभा के लिए जगह उपलब्ध करने की सूचना दी तथा व्यासपीठ के लिए भी जगह का प्रबंध किया।
२. साई गोल्डस्मिथ के स्वामी से समिति के कार्यकर्ताओं ने भेंट की। उन्हें परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की महती बताने के पश्चात साथ ही उनके अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित की गई फेरी के संदर्भ में बताने के पश्चात उन्होंने व्यासपीठ की सिद्धता हेतु आवश्यक शामियाना तथा मंडप की व्यवस्था करने की इच्छा व्यक्त की !
३. फेरी हेतु कुछ फलकों को लकडी की फ्रेम्स सिद्ध करना आवश्यक था। वह कार्य करनेवाले व्यक्ति से समिति के कार्यकर्ताओं ने भेंट की। उसने फलकों को निःशुल्क फ्रेम्स सिद्ध करने की इच्छा व्यक्त की !
४. शहर के दुर्गादेवी मंदिर के पास धर्मध्वज का पूजन करने का निश्चित हुआ था। अतः मंदिर के न्यासी के पास अनुमती प्राप्त करने हेतु जब समिति के कार्यकर्ता गए, तब उन्होंने पूरीतरह से सहायता की तथा यह भी बताया कि, ‘देवस्थान के बाहर समिति का फलक प्रदर्शित करें तथा वह सभी को दिखेगा, ऐसा प्रदर्शित करे !’
फेरी में धर्माभिमानियों का उत्स्फूर्त सहभाग !
१. एक धर्माभिमानी ने फेरी के लिए स्वयं व्यय कर के नगरपालिका से अनुमति प्राप्त की !
२. एक धर्माभिमानी को हिन्दू एकता अभियान के संदर्भ में पता चलते ही उसने फेरी हेतु आवश्यक ध्वज साथ ही लाठियां निःशुल्क उपलब्ध करा दी !
३. फेरी हेतु आवश्यक सामान लाने के लिए वाहन की आवश्यकता थी। उस समय एक धर्माभिमानी को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के संदर्भ में, साथ ही उस उपलक्ष्य में आयोजित की गई फेरी के संदर्भ में बताने के पश्चात त्वरित उन्होंने वाहन का प्रबंध किया !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात