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गोवंडी (मुंबई) : श्री माताराणी गणेश मंदिर वैध होते हुए भी मुंबई महानगरपालिकाने गिराया

भोंपुओं को हटाना एवं अवैध निर्माणों को गिराना, ये दोनों आदेश न्यायालयद्वारा ही दिए गए हैं; किंतु धर्मांधों की डर से भोंपुओं, मस्जिदों और दर्गाहों के अवैध होते हुए भी प्रशासन उनपर कार्रवाई करने का साहस नहीं रखता और वैध मंदिरों को अवैध ठहराकर उनको गिराया जाता है। प्रशासन की यही हिन्दुविरोधी नीति ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना को अनिवार्य बनाती है !

मुंबई : गोवंडी, देवनार बसस्थानक के निकट स्थित वैध श्री माताराणी गणेश मंदिर को ८ मई को मुंबई महानगरपालिका प्रशासनद्वारा गिराया गया। क्षोभजनक बात यह कि, मंदिर के न्यासी और पुजारी अधिवक्ता श्री. शिवहर्ष मिश्राद्वारा इस मंदिर के वैध होने का प्रमाण देनेवाले कागदपत्र उपलब्ध होने की बात कही गई है। ऐेसा होते हुए भी इसका कोई भी संज्ञान न लेते हुए मुंबई महानगरपालिकाद्वारा इस मंदिर को गिराया गया है। (हिन्दुओं, इसके लिए उत्तरदायी शासकीय अधिकारियों के विरोध में वैधानिक पद्धति से कार्रवाई करने हेतु कदम उठाइए और ऐसे अधिकारियों के नाम सनातन प्रभात को भी सूचित करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) विशेष बात यह कि, अधिवक्ता श्री. शिवहर्ष मिश्रा के घर का निर्माण वर्ष २००० में हुआ था और उसकी बाजू में स्थित श्री माताराणी गणेश मंदिर का अस्तित्व वर्ष १९५७ से है। मंदिर की बाजू में स्थित दुकानों एवं अधिवक्ता श्री. मिश्रा के घर के संदर्भ में मुंबई महापालिका प्रशासनद्वारा कोई आपत्ति नहीं जताई गई है; केवल मंदिर को ही गिराया गया है !

अयोध्या में राममंदिर का निर्माण करनेवालों के कानोंतक मुंबई में स्थित प्राचीन मंदिर को गिराए जाने की आवाज नहीं पहुंचती, यह दुर्भाग्यजनक ! – अधिवक्ता श्री. शिवहर्ष मिश्रा

इस स्थानपर हमारी ३ पीढीयां रह चुकी हैं। हम इस भूमि के राजस्व का भुगतान कर रहे हैं। वर्ष १८५८ में इस मंदिर के संदर्भ में हमें शासन की ओर से अधिकारपत्र भी प्राप्त हुआ है। तो क्या, देवता के लिए मुंबई में भूमि नहीं है ?, हमारी आराध्य देवताएं ही नहीं रहीं, तो हिन्दुओं को धर्म के संस्कार कहां से मिलेंगे ? और हिन्दू संघटित होंगे भी तो कैसे ? शुक्रवार के दिन नमाज के समय में मस्जिदों के सामने की सडकें भर जाती हैं। उनकी सुरक्षा हेतु प्रशासन की ओर से पुलिसकर्मी भेजे जाते हैं। राज्य में हिन्दुत्वनिष्ठ शासन होते हुए भी इसके विरोध में आवाज नहीं उठाई जाती। ‘पहले का शासन ही अच्छा था’, ऐसा कहने की स्थिति इस शासन ने लाकर खड़ी कर दी है !

‘मंदिर गिराए जाएंगे, तो हिन्दू कहां जाएंगे ?’, यह प्रश्‍न स्वयं को हिन्दुत्वनिष्ठ कहलानेवाले राजनीतिक दलों की ओर से उपस्थित किया जाना चाहिए !

अयोध्या में राममंदिर के निर्माण कार्य करनेवालों की कानोंतक यहां के प्राचीन मंदिर गिराए जा रहें हैं, उसकी आवाज नहीं पहुंचती, यह दुर्भाग्यजनक है ! इससे हिन्दुओं की आस्था आहत हो जाती है और तो और यहांपर पाकिस्तान जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है, ऐसा ही कहना पडेगा !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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