परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में उत्तर भारत में ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति अभियान’ !
. . . अतः हिन्दुओं का भी एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ होना चाहिए ! – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे
उज्जैन (मध्य प्रदेश) : वर्ष २००२ में भूतान को बौद्ध राष्ट्र घोषित किए जानेपर वहां के डेढ लाख हिन्दूओं को वहां से बाहर निकाल दिया गया। तब उन हिन्दुओं ने तत्कालिन ‘हिन्दू राष्ट्र-नेपाल’ में शरण ली थी; किंतु आज नेपाल भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। आज यदि हमें भारत से बाहर निकाल दिया गया, तो हम कहां जाएंगे ? अतः हिन्दुओं का भी एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ होना चाहिए ! हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने ऐसा प्रतिपादित किया। वे, यहां के मौन तीर्थ में ‘हिन्दू शौर्य जागरण एवं मौनतीर्थ सेवार्थ फाऊंडेशन’ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में ‘हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ इस विषय पर मार्गदर्शन कर रहे थे।
इस अवसरपर पू. डॉ. पिंगळेजी ने आगे कहा . . .
१. भारतीय लोकराज्य में चीन एवं रशिया के प्रति अपनी निष्ठा रखनेवाले वामपंथी एवं अखंड भारत का विभाजन करनेवाली मुस्लिम लीग यदि स्वतंत्र भारत में रहकर देशद्रोही मांगें कर सकते हैं, तो राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी हिन्दुओंद्वारा ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग किए जाने में क्या, अयोग्य है ?
२. इंग्लैंड में कैथॉलिक पंथ की व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकती है; साथ ही वहां पर प्रोटेस्टंट पंथीय भी आराम से रह सकते हैं ! अनेक मुसलमान राष्ट्रों में हिन्दुओं की देवताओं के चित्र साथ ले जानेपर प्रतिबंध है; किंतु हिन्दू वहां पर भी नौकरी कर सकते हैं। इसी प्रकार से हिन्दू राष्ट्र में मुसलमान भी रह सकते हैं !
संविधान में निहित ‘सेक्युलर’ शब्द के कारण हिन्दुओं का उत्पीडन हो रहा है ! – संत पू. सुमन भाई, उज्जैन
दुबई में मुसलमान एवं गैरमुसलमानों के लिए भी १ मास का रमजान का उपवास रखना अनिवार्य है। तो उसी प्रकार से भारत में सभी को ही नवरात्रि में ९ दिनों का उपवास रखने में क्या समस्या है ? भारत के संविधान में निहित ‘सेक्युलर’ शब्द के कारण केवल हिन्दुओं का ही उत्पीडन हो रहा है। पाकिस्तान, बांग्ला देश एवं भारत देशों के मुसलमान यदि संघटित हो गए, तो हम अल्पसंख्यक बन सकते हैं, यह आज की स्थिति है ! अतः हिन्दुओं में जागृति कर हमें ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना हेतु प्रयास करने चाहिएं।
संत पू. सुमन भाई ने आगे कहा, संविधान तो अंग्रेजों ने सिद्ध कर उसे भारत को प्रदान किया था। हम आज भी संविधान के संदर्भ में अंग्रेजों के गुलाम हैं। इसी संविधान के आधारपर अंग्रेज हिन्दुओंपर अत्याचार करते थे। विभाजन के समय मुसलमानों ने पाकिस्तान के पक्ष में अपना मत दिया था। अतः उनको भारत में रहने का कोई भी अधिकार है ही नहीं ! उनकी निष्ठा पाकिस्तान के साथ थी। किसी नेता की एक गलती के कारण हमने मुसलमानों को रहने दिया होगा; किंतु उसके पश्चात उनका मतदान का अधिकार छिन लेना चाहिए था !
क्षणचित्र
१. संत पू. सुमन भाईजी ने पू. डॉ. पिंगळेजी को सम्मानित किया।
२. उपस्थित लोगों ने हिन्दू राष्ट्र के संदर्भ में अपनी शंकाओं का निराकरण करवाकर लिया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात