परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति अभियान’ के अंतर्गत, नेवासा (जिला नगर, महाराष्ट्र) में, ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति सभा’ !
नेवासा में, ३०० से भी अधिक युवकों ने दी, ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापना हेतु संघटन की ललकार !
नेवासा : युधिष्ठिर, वसिष्ठ ऋषी एवं कर्ण के गुणों से युक्त युवक ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना हेतु प्रयास कर सकता है ! इसके लिए युवकों को धर्माचरण कर सिद्ध होना चाहिए। परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के संकल्प से वर्ष २०२३ में भारत हिन्दू राष्ट्र बनने ही वाला है; किंतु उसकी स्थापना हेतु धर्माभिमानी युवकों को कार्यरत होना आवश्यक है। सभी को अपनी क्षमता के अनुरूप धर्मकार्य में सम्मिलित होना चाहिए। इसके साथ ही जिस प्रकार से जिजामाता ने छत्रपति शिवाजी महाराज को संस्कारित किया था, उस प्रकार से प्रत्येक माता-बहनों को अपने बच्चों को संस्कार देने की आवश्यकता है। ह.भ.प. जनार्दन महाराज मेटे ने ऐसा मार्गदर्शन किया।
वे, परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में यहां के राधाकृष्ण मंगल कार्यालय में १ जून को आयोजित ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति सभा’ को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र संघटक श्री. सुनील घनवट ने ‘शौर्यजागरण एवं हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ और रणरागिणी शाखा की कु. प्रियांका लोणे ने ‘स्वसंरक्षण की आवश्यकता’ इन विषयों पर उपस्थित धर्माभिमानियों को संबोधित किया।
सभा के प्रारंभ में मान्यवरों के हाथों दीपप्रज्वलन और छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले को पुष्पमाला समर्पित की गई। सभा का सूत्रसंचालन हिन्दू जनजागृति समिति की कु. क्रांति पेटकर, तो धर्माभिमानी श्री. संतोष पेंडुरे ने आभार प्रदर्शन किया।
सहयोग
१. भाजपा जिलाध्यक्ष श्री. नितीन दिनकरद्वारा दिए गए सहयोग के कारण सभा के लिए मंगल कार्यालय निःशुल्क उपलब्ध हुआ।
२. धर्माभिमानी श्री. राजू उपाध्ये ने टेबल एवं आसंदिया निःशुल्क उपलब्ध करा दी।
४. धर्माभिमानी श्री. कैलास चव्हाण ने पूरी सभा का निःशुल्क ध्वनिचित्रीकरण किया।
वैशिष्ट्यपूर्ण
१. धर्मशिक्षावर्ग में आनेवाले धर्माभिमानी और उनके माध्यम से जुडे युवक एवं युवतियों ने स्वयंस्फूर्ति से सभा का प्रसार एवं सभा की पूरी सिद्धता की !
२. सभा में ब्राह्मणी, सोनई, वडाळा, नेवासा बुद्रुक, प्रवरा संगम एवं देवगड इन गावों के युवक सम्मिलित हुए थे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात