गोमांस खाकर जानबूझकर हिन्दुआेंकी धर्मभावनाआें को आहत करनेवाले एेसे विधायकों पर कडी कार्यवाही होनी चाहिए – सम्पादक, हिन्दूजागृति
वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक संबंधी केंद्र की अधिसूचना पर चर्चा के लिए गुरुवार को बुलाए गए केरल विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में हिस्सा लेने से पहले विधायकों ने नाश्ते में गोमांस का सेवन किया। केरल के विधायक केंद्र के नए नियम पर चर्चा में शामिल होने से पहले कैंटीन पहुंचे। कैंटीन के एक कर्मचारी ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि आमतौर पर आम कार्यदिवसों में विधानसभा सत्र के दौरान पूर्वान्ह ११ बजे के बाद गोमांस परोसा जाता है। उन्होंने कहा, “लेकिन आज जब गोमांस के मुद्दे पर ही सत्र बुलाया गया है, तो हम तड़के ही १० किलो गोमांस ले आए। अब तक विधानसभा में प्रवेश से पूर्व काफी बड़ी संख्या में विधायक बीफ फ्राई खा चुके हैं।”
मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने सत्र की शुरुआत करते हुए मई में जारी केंद्र की नई अधिसूचना के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया। विजयन ने कहा, “नया कानून और कुछ नहीं, बल्कि लोग क्या खाना चाहते हैं, इससे जुड़े उनके अधिकारों का हनन है। नए कानून से हमारे राज्य के कृषि समाज और हमारे देश पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।”
उन्होंने कहा, “ऐसी गाय जो दूध देना बंद कर चुकी हो, उसकी देखरेख के लिए किसान को ४०००० रुपये खर्च करने पड़ते हैं। (दूध देना बन्द करने के बाद भी गोमाता का उपयोग अन्य कर्इ बातो में हो सकता है आैर इससे कर्इ ज्याद उत्पन्न भी मिलता है, इसका अनुभव भारत के कर्इ लोग ले रहे है, क्या यह बात मुख्यमंत्रीजी को ज्ञात नहीं ? – सम्पादक, हिन्दूजागृति) हमारे समाज के अधिकांश लोग मांसाहारी हैं और यह यह नया कानून हमें स्वीकार नहीं है।
स्त्रोत : जनसत्ता