नर्इ देहली : एक ओर भारत सरकार इस्लाम के हर प्रतीक को संरक्षित करने में जुटी है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान हिंदुअों के प्रतीक को नष्ट होते हुए देख रहा है । पाकिस्तान में हिंदुअों की भावनाअों से खिलवाड हो रहा है और इसे रोकने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे । सीमा पर नापाक हरकतें करनेवाला पाकिस्तान अपनी सीमा के अंदर हिंदुअों की भावनाअों को आहत कर रहा है ।
कराची के मनोरा जिले में मनोरा द्वीप पर स्थित है १,००० वर्ष पुराना वरुण देव मंदिर को पाकिस्तान के लिए एक विरासत का प्रतीक होना चाहिए, परंतु इस मंदिर के एक क्षेत्र का उपयोग शौचालय के रूप में हो रहा है ।
१९५० के दशक में आखिरी बार हिंदू समुदाय ने ‘लाल साईं वरुण देव’ का त्योहार मनाया था । अब मंदिर के कमरे और परिसर शौचालय के रूप में उपयोग किए जाते हैं । मंदिर की देखभाल करनेवाले बताते हैं कि, कोई भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान नहीं करता ।
पाकिस्तानी नौसेना के अधिकार क्षेत्र में आनेवाले इस मंदिर के स्वामित्व के बारे में जानकारी के लिए सैन्य संपत्ति अधिकारी (एमइओ) से संपर्क करने का प्रयास कीया, परंतु कोई उत्तर नहीं मिला । जब जीवराज ने मनोरा छावनी बोर्ड (एमसीबी) को लिखा, तो उन्हें बताया गया कि, यहां इससे जुडा कोई रिकॉर्ड नहीं है ।
मंदिर की बदहाली की खबर अब पूरे पाकिस्तान में पहुंच गयी है । धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदारों के लिए पाकिस्तान में यह बडा मौका था । यह पाकिस्तान सरकार की भी जिम्मेदारी थी कि, वे अल्पसंख्यकों की आस्था के इस सबसे बडे प्रतीक की सुरक्षा के लिए कदम उठाती । परंतु, उसने ऐसा नहीं किया ।
After seeing almost complete ruin Varun Dev temple is being restored thru #AFCP. https://t.co/xkVibjuDHx @StateDept pic.twitter.com/YiOLUicPAu
— US Consulate Karachi (@usconsulatekhi) March 15, 2016
अच्छी बात यह है कि, वरुण देव मंदिर की पुनर्स्थापना के लिए अमेरिका आगे आया है । वर्ष २०१६ में कराची स्थित अमेरिकी दूतावास ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और मंदिर की पुनर्स्थापना की घोषणा की । अमेरिका ने इसके लिए सांस्कृतिक प्रतीकों की सुरक्षा के लिए तय किए गए अमेरिकी राजदूत के फंड का उपयोग करने का निर्णय लिया ।
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि, पाकिस्तान के समाचार पत्र डेली टाइम्स ने वर्ष २००८ में मंदिर की दुर्दशा पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी । ८ वर्ष बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान की संस्थाअों ने जब कोई कदम नहीं उठाया, तो अमेरिका ने इसका बीडा उठाया ।
स्त्रोत : प्रभात खबर