मार्गशीर्ष शु. ११, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदू मंदिरोंके सरकारीकरणका दुष्परिणाम !
कोची (केरल) – नवंबर माहके अंतमें शबरीमला देवस्थानमें उत्सव मनाया जाता है । उस उत्सवके समय प्रसादके रूपमें बांटे गए ‘अप्पम’में फफूंद दिखाई दी है । ( श्रद्धालुओंको दिया जानेवाला प्रसाद भी घटिया स्तरका वितरित किया जाता है, यह मंदिरोंके सरकारीकरणका दुष्परिणाम है ! हिंदुओ, मंदिर सरकारीकरणके दुष्परिणाम जानकर राजनेताओंके चंगुलसे मंदिरोंको मुक्त करने हेतु संगठित हों ! – संपादक ) उत्सवके समय प्रसादमें फफूंद लगना एक षड्यंत्र है, ऐसा संदेह हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंने व्यक्त किया है । ( मंदिरमें दिया जानेवाला प्रसाद हिंदू श्रद्धापूर्वक ग्रहण करते हैं । फिर भी घटिया स्तरका प्रसाद देकर उनकी धर्मश्रद्धा हटानेका राजनेताओंका क्या यह षडयंत्र है ? – संपादक ) ‘हिंदू ऐक्य वेदी’, ‘अय्यप्पा सेवा समाजम्’, भाजपा एवं अन्य हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंद्वारा इस विषयमें पूछताछ करनेकी मांग की गई हैं । ( हिंदुत्वनिष्ठ संगठन, अब केवल मांग ही नहीं करें अपितु सरकारपर दबाव डालकर मंदिरका कार्य पुनः भक्तोंके हाथोंमें सौंपनेका प्रयास करें ! – संपादक )
गत कुछ वर्षोंसे ठीक उत्सवके समय ही देवस्थानके विषयमें कुछ न कुछ अनुचित बातें कैसे सामने आती हैं, भक्तोंद्वारा यह प्रश्न किया गया है । ( शबरीमला देवस्थानके परिसरमें दिखाई देनेवाली ‘मकर ज्योति’ एक पाखंड है, ऐसी आलोचना निधर्मीवादियोंने की थी । अयप्पा देवताके प्रति हिंदुओंकी श्रद्धाको आहत करनेका यह प्रयास है ! – संपादक ) भक्तोंका कहना है कि, ‘इन सभी बातोंसे यहध्यानमें आता है, भक्तोंमें संभ्रमित वातावरण निर्माण कर प्रसादका विक्रय एवं वितरण न्यून करनेका एक षडयंत्र है ।’ ( केरल राज्यकी कांग्रेसी हिंदूद्रोही सरकार यह षडयंत्र नहीं रच सकती, ऐसा कौन कह सकता है ? – संपादक )
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात