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श्री महालक्ष्मी देवी को चोली-घागरा पहनाने के संदर्भ में भाजपा पार्षद तथा श्रीपूजक अजित ठाणेकर सहित तीन पर अपराध प्रविष्ट !

श्री महालक्ष्मी देवी को चोली-घागरा पहनाने का प्रकरण

श्री महालक्ष्मीदेवी की किनारवाली साडी में की जानेवाली सालंकृत खडी पूजा मुख्य पूजा होती है। इसमें यदि चाहे त्यौहारों के औचित्य की दृष्टि से उसमें परिवर्तन किए जाते हैं; किंतु साडी में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता ! सभी स्तरों से श्रीपूजकोंद्वारा इस परंपरा को तोड दिए, जाने का आरोप किया जा रहा है। श्री महालक्ष्मीदेवी की साडी तथा खण के साथ गोद भरना यह नियमित पद्धति है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए, तो अन्य वेशभूषा की अपेक्षा साडी के कारण देवी का चैतन्य अधिक मात्रा में प्रक्षेपित हो सकता है तथा श्रद्धालुओं को उसका अधिक लाभ मिल सकता है !

श्री महालक्ष्मी देवी को चोली-घागरा पहनाया गया चित्र

(इस छायाचित्र को प्रकाशित करने के पीछे लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का कोई उद्देश्य नहीं है; किंतु सभी को वास्तविकता समझ में आए, इस उद्देश से इस छायाचित्र को प्रकाशित किया गया है। – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : साढेतीन शक्तिपीठों में से एक पूर्णपीठ श्री महालक्ष्मीदेवी को पारंपरिक किनारवाली साडी के स्थानपर घागरा-चोली पहनाए जाने के प्रकरण में पुलिस ने भाजपा पार्षद तथा श्रीपूजक अजित ठाणेकर सहित तीन श्रीपूजकोंपर अपराध प्रविष्ट किया है।

घागरा-चोली पहनाए जाने के कारण पूरे राज्य के सभी श्रद्धालु बडी मात्रा में अप्रसन्न हैं। श्रद्धालुओंद्वारा इस संदर्भ में तीखीं प्रतिक्रियाएं व्यक्त हो रही हैं। इस प्रकरण के अंतर्गत ११ जून को शिवसेनाद्वारा कार्रवाई की मांग की जाकर भी यहां के जुना राजवाडा पुलिसकर्मियों की ओर से संबंधित दोषी श्रीपूजकों पर अपराध प्रविष्ट करने के लिए असमर्थता दर्शाई जाने से सामाजिक संघटन, शिवसेना के नेता और शिवसैनिकों ने पुलिस थाने में ही धरना दिया। तत्पश्‍चात पुलिस उपअधीक्षक (शहर) डॉ. प्रशांत अमृतकरद्वारा परिवाद प्रविष्ट करने का आश्‍वासन मिलने के पश्‍चात आंदोलकों ने आंदोलन वापस लिया। इस समय पुलिस थाना परिसर में तनाव का वातावरण उत्पन्न हुआ था।

घटनाक्रम . . .

१. १० और ११ जून को सामाजिक संकेतस्थलों पर यह प्रकरण चर्चा में बना हुआ था। श्री महालक्ष्मी मंदिर का गर्भगृह पुजारियों के नियंत्रण में है। उसके कारण गर्भगृह में वो जो भी करेंगे, वो सभी बातें योग्य ही होती हैं, यह अलिखित नियम है।

२. श्री. योगेश जोशी नामक श्रद्धालु ने श्री महालक्ष्मीदेवी को ३२ सहस्र रुपयों की घागरा-चोली समर्पित की थी।

३. ११ जून को जुना राजवाडा पुलिस थाने में प्रजासत्ताक सामाजिक संस्था, अंबाबाई भक्त मंडल, शिवसेना, हिन्दू जनजागृति समिति सहित सामाजिक संघटनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बडी संख्या में एकत्रित हुए।

४. उन्होंने संबंधित दोषी श्रीपूजकोंपर अपराध प्रविष्ट करने की मांग की; किंतु पुराना राजवाडा पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक श्री. निशिकांत भुजबळ ने अपराध प्रविष्ट करना अस्वीकार किया।

५. तत्पश्‍चात पुलिस उपअधीक्षक डॉ. प्रशांत अमृतकर पुलिस थाने में आ गए। तब हुई प्रदीर्घ बातचीत में आंदोलकों ने उनको इस प्रकरण की गंभीरता को समझाकर बताया; किंतु डॉ. अमृतकर परिवाद प्रविष्ट करवा लेने की स्थिति में नहीं थे। अंततः परिवाद प्रविष्ट नहीं करा दिया गया, तब आंदोलकों ने परिवाद प्रविष्ट किए जानेतक पुलिस थाने के बाहर ही नहीं जाने की भूमिका अपनाई।

श्रीपूजकों ने यदि परंपराओं का भान नहीं रखा, तो कोल्हापुरवासी क्षुब्ध होंगे ! – श्री. संजय पवार, जिला प्रमुख, शिवसेना

श्री महालक्ष्मीदेवी लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। हम यहां भक्त के रूप में आते हैं। श्री महालक्ष्मीदेवी की मूर्ति कोई एटीएम नहीं है तथा इसकी ओर केवल धन अर्जित करने के उद्देश्य से न देखा जाए। अभीतक श्रीपूजकोंद्वारा की गई गलतियों को हम सहन करते आए हैं; किंतु यहां से आगे ऐसी घटनाओं को सहन नहीं किया जाएगा। श्रीपूजकों के लिए यह अंतिम अवसर है। हर बार हम शांत रहेंगे, ऐसा प्रशासन न समझे। विधि एवं नियमों का उल्लंघन कर देवी का अनादर न हो, इसका भान जैसे हम रखते हैं, उसी प्रकार से श्रीपूजक भी परंपराओं का भान रखें, अन्यथा भविष्य में ऐसे घटनाओं के विरोध में कोल्हापूरवासियों की भावनाओं का विस्फोट होने में समय नहीं लगेगा !

दोषी श्रीपूजकों को बंधक बनाए ! – श्री. शिवाजीराव जाधव, सदस्य, पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति

श्री महालक्ष्मीदेवी को पारंपरिक पद्धति से किनारवाली साडी पहनाई जाती है; किंतु श्रीपूजकों ने ऐसा विपरीत कृत्य कर देवस्थान समिति को अपकीर्त किया है। हम देवी का अनादर सहन नहीं करेंगे। जिन श्रीपूजकों से यह अपराध हुआ है, उनको बंधक बनाया जाना चाहिए। परिवाद लेने के संदर्भ में पुलिसकर्मियोंद्वारा टालमटोलवाले उत्तर; शिवसेना जिला प्रमुख श्री. विजय देवणे ने पुलिस को सुनाया ! जुना राजवाडा पुलिस थाने में आंदोलकोंद्वारा दोषी श्रीपूजकों पर अपराध प्रविष्ट कर उसकी प्रति उपलब्ध करा देने की मांग अनेक बार की गई थी; किंतु १ घंटे के पश्‍चात प्रति को देंगे, ऐसा कहकर पुलिस थाने के कर्मचारी प्रति देने में जानबूझकर विलंब लगा रहे थे। इसमें सभी आंदोलकों का समय व्यर्थ हो रहा है, यह ध्यान में आनेपर शिवसेना जिला प्रमुख श्री. विजय देवणे क्षुब्ध हो गए। उन्होंने पुलिस थाने के कर्मचारियों को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा, ‘टूटा हुआ मुंह लेकर कोई व्यक्ति पुलिस थाने में आ गया, तो उसका परिवाद प्रविष्ट कर लेने में भी क्या आप इसी प्रकार के उत्तर देंगे ? आप अलग अलग उत्तर देकर परिवाद की प्रति देने में क्यों विलंब कर रहें हैं ?’ इसके पश्‍चात पुलिसकर्मियों की भागदौड आरंभ हो गई। तत्पश्‍चात पुलिसकर्मियों ने आंदोलकों को वह प्रति दे दी। विशेष बात यह कि यह घटना पुलिस उपअधीक्षक डॉ. प्रशांत अमृतकर के सामने ही हुई !

उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठ : हिन्दू एकता आंदोलन के जनपदाध्यक्ष श्री. चंद्रकांत बराले, कार्यकर्ता श्री. शिवाजीराव ससे, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. मधुकर नाजरे, हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. मधुमामा कवडे, शिवसेना के श्री. दुर्गेश लिंग्रस, महिला मोर्चा की श्रीमती वैशाली महाडिक, प्रजासत्ताक सामाजिक संस्था के श्री. दिलीप देसाई, हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. बाबासो पार्टे आदि उपस्थित थे।

श्री महालक्ष्मी देवी को राजस्थान चोली-घागरा नहीं, अपितु राजस्थानी पद्धति की गोल सिली हुई साडी ही पहनाई गई है ! – श्रीपूजक मंडलद्वारा स्पष्टीकरण

यह पूजा राजस्थान में स्थित एक देवी से समानता होनेवाली पूजा है। साथ ही इस देवी की कुमारिका के रूप में पूजा बांधी जा रही है। राजस्थानी घागरा सलवार-कमीज अथवा पंजाबी चुडीदार जैसा नहीं है; किंतु वह एक विशिष्ट पद्धति से पहनाई गई गोल सीली हुई साडी ही है। राजस्थान में अधिकांश महिलाओं के वेशभूषा इसी प्रकार की होती है। अतः आदिशक्ति जगदंबा की इस प्रकार से पूजा बांधी जाना अयोग्य नहीं है। प्राथमिक रूप से किसी को भी इस पूजा में कुछ अयोग्य नहीं प्रतीत हुआ है। करवीर निवासिनी महालक्ष्मी अधिकारी श्रीपूजक मंडल के सचिव श्री. माधव मुनीश्‍वर ने एक विज्ञप्ति में ऐसा कहा है।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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