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बलात्कारका प्रमाण बढते समय अश्लीलताका समर्थन करनेवाले ‘प्लेबॉय क्लब’ को अनुमति न दें ! – समिति

मार्गशीर्ष शु. १२, कलियुग वर्ष ५११४

बलात्कारकी घटनाओंको नियंत्रित करने हेतु नैतिकता एवं धर्माचरणका स्वीकार करें !

मुंबई (महाराष्ट्र) – हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेने सरकारसे ‘प्लेबॉय क्लब’ प्रतिष्ठानके लिए अनुमति न देनेकी मांग करते हुए कहा है कि देशभरमें दिनोंदिन बढनेवाली बलात्कारकी घटनाओंको रोकनेमें केंद्र एवं राज्य सरकार पूर्णतः असफल सिद्ध हुई है । इसलिए समाजमें तीव्र असंतोष बढ रहा है । परिणामतः देशभरमें आंदोलन हो रहे हैं । जनजागृति हो रही है । ऐसे समय बलात्कारकी घटनाओंको तत्काल प्रतिबंधित करने हेतु कदम उठानेके स्थानपर गोवा राज्यमें देशका प्रथम ‘प्लेबॉय क्लब’ खोलनेकी घोषणा की गई है । अश्लीलता, नग्नता एवं लैंगिकताका समर्थन करनेवाले ‘प्लेबॉय क्लब’जैसे प्रतिष्ठानको भारतमें अनुमति देना अनुचित है; क्योंकि इससे वासनांधताको बढावा मिलेगा एवं बलात्कारियोंको प्रोत्साहन मिलेगा । अतः सरकारको भारतीय संस्कृतिका आदर्श एवं नैतिकताका पाठ पढाने हेतु प्राधान्य देकर ‘प्लेबॉय क्लब’ जैसी कुसंस्कृतिपर प्रतिबंध लगाना चाहिए ।

उन्होंने आगे कहा कि इससे पूर्व भी गोवामें देशी-विदेशी पर्यटकोंपर बलात्कारकी घटनाएं उजागर हुई हैं । ऐसे समय प्लेबॉय’ को प्रतिष्ठितोंके समान क्यों आमंत्रित करें ? गोवामें जनवरी महीनेसे आरंभ होनेवाले ‘प्लेबॉय’ को समितिका तीव्र विरोध है एवं गोवाके मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकरको इस विषयमें ज्ञापन दिया गया है । उसीप्रकार ‘क्लब’ को तीव्र विरोध करनेकी भूमिका समितिद्वारा अपनाई गई है । वास्तवमें संस्कृतिरक्षाकी मानसिकता रखनेवाली भाजपाको स्वयं ऐसे संस्कृतिद्रोही कार्यक्रमको बढावा नहीं देना चाहिए । बलात्कार समान समस्याओंको प्रतिबंधित करनेके लिए समाजको ‘प्लेबॉय क्लब’ समान विकृतिकी नहीं, अपितु सात्त्विक धर्माचरणकी आवश्यकता है ।

‘प्लेबॉय क्लब’ आरंभ करनेवाले अमेरिकाके विवादात्मक ‘प्लेबॉय’ नियतकालिकपर अश्लीलता एवं नग्नताका प्रसार करनेके कारण भारतमें अन्यत्र प्रतिबंध लगाया गया है । आज नैतिकता समाप्त होनेके कारण समाजमें बलात्कारकी घटनाओंमें वृद्धि हो रही है । ‘प्लेबॉय क्लब’ समान संस्थाओंको भारतकी  पुण्यभूमिमें पांव रखनेकी अनुमति दी गई, तो समाजकी दृष्टिसे विनाशक सिद्ध होगा । समाजको इस स्थितिसे बाहर निकालने एवं समाजकी नैतिकताको ऊपर उठानेकी आवश्यकता है । इसलिए इसके विरोधमें समाजको एकत्रित आकर इसका विरोध करनेकी आवश्यकता है । अन्यथा अपनी मां-बहनोंको सुरक्षित रूपसे बाहर निकलना कठिन होगा ।

 स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात 

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