१४ जून को अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में ‘जिहादी आतंकवाद से हिन्दुआें की रक्षा !’ इस सायं के सत्र में मान्यवरों द्वारा किया गया मार्गदर्शन
दंगों के समय हिन्दुआें की आवश्यक तैयारी और जिहादी आतंकवाद से हिन्दुआें की रक्षा, इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. प्रशांत जुवेकर ने कहा कि,
१. दंगे केवल दंगे न होकर वे देश के विरुद्ध पुकारा गया युद्ध ही है । जिस प्रकार पाकिस्तानी सैनिक सीमा पर सेना से द्वेषपूर्वक लडता है, उसी प्रकार धर्मांध शस्त्र और द्वेष भावना से तोड-फोड और हानि करनेवाले दंगे करते हैं । दंगे समाज और अर्थव्यवस्था को जर्जर बनाने का षड्यंत्र है । इसलिए दंगों के विरुद्ध ठोस समाधान योजना चाहिए ।
२. दंगों के समय कट्टरपंथी, आस्थाकेंद्रों का अनादर करते हुए महिलाआें पर अत्याचार करते हैं और यह सब १०० करोड हिन्दू देखते रह जाते हैं; क्योंकि हिन्दू समाज शस्त्रविहीन है और सतर्क नहीं है । ऐसे समय प्रतिकार के बिना मृत्यु को स्वीकारना और दुर्बलता दिखाना महापाप है । हमारे ऋषि, देवता और राजाआें ने शौर्य की पूजा की । हिन्दुआें को स्वरक्षार्थ सामर्थ्यवान बनना होगा ।
३. दंगों का सामना करने के लिए हमें अभी से सतर्क रहकर स्वरक्षा सीखनी चाहिए । हमें अपना स्वाभिमान जागृत कर समाज के हिन्दुआें में शौर्य की भावना जागृत करनी चाहिए । दंगों के समय हिन्दू युवकों के सुरक्षा दल स्थापित करने चाहिए ।
४. जिस क्षेत्र में हिन्दू अल्पसंख्य हैं, उस क्षेत्र में दंगे होते हैं । ऐसे स्थान पर अन्यत्र अथवा निकट के हिन्दुआें को सहायता करने के लिए जाना चाहिए ।
५. दंगों के समय महिलाआें को भी सतर्क रहकर समय आने पर प्रतिकार करना चाहिए । उसके लिए महिलाआें को स्वरक्षा प्रशिक्षण सीखना चाहिए ।