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गोरक्षकों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका प्रविष्ट होती है, इससे बडा दुर्भाग्य क्या हो सकता है ? – चेतन शर्मा, पीपल फॉर एनिमल, मुंबई

छठे हिन्दू अधिवेशन में ‘गोरक्षा और गोमांस पर प्रतिबंध की आवश्यकता !’ इस सायंकाल के सत्र में पीपल फॉर एनिमल, मुंबई के चेतन शर्मा ने व्यक्त किए विचार !

चेतन शर्मा, पीपल फॉर अ‍ॅनिमल, मुंबई

रामनाथी (गोवा) – सर्व समस्याआें का मूल गाय ही है, ऐसा गलत चित्र आज प्रसारमाध्यमों ने समाज के समक्ष खडा किया है । गाय, गोरक्षक एवं पुलिस की क्रूर हत्या करनेवाले कसाइयों पर प्रतिबंध लगाए, ऐसी याचिका प्रविष्ट नहीं होती, परंतु प्राण संकट में डालकर गायों की रक्षा करनेवाले गोरक्षकों पर प्रतिबंध लगाए, ऐसी याचिका प्रविष्ट होती है, इससे बडा दुर्भाग्य क्या हो सकता है ? गोरक्षा करनेवाले साधारण नागरिक होते हैं, तो क्या प्रत्येक व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाएंगे?, ऐसा स्पष्ट प्रश्‍न मुंबई के पीपल फॉर एनिमल के  कार्यकर्ता श्री. चेतन शर्मा ने उपस्थित किया । गोरक्षा संबंधी किए साहसी कार्य के विषय में वे बोल रहे थे ।

इस समय श्री. चेतन शर्माजी ने कहा… 

१. वास्तव यह है कि पशुवधगृहों में वृद्ध बैलों को मारने के नाम पर भारत में आज अनेक स्थानों पर अच्छी गायों की हत्या की जा रही है । अनेक स्थानों पर गाय के बछडे की हत्या की जाती है ।

२. आज गोरक्षा करते समय गोरक्षकों को अपने प्राण खोने पडते हैं, ऐसे प्रसंग मुझ पर भी आए हैं । एक स्थान पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को कसाइयों ने बंदी बनाकर पशुवधगृह में ही उसकी हत्या कर दी । इसका समाचार कुछ स्थानीय समाचारपत्र छोडकर अन्य कहीं भी प्रकाशित नहीं हुआ । गोरक्षा का विषय प्रसारमाध्यमों ने अत्यंत अयोग्य पद्धति से लोगों के सामने लाया है । इसके विपरीत अपने प्राणों का विचार किए बिना गोरक्षा करनेवाले साधारण नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेहसीन पुनावाला जैसे लोग करते हैं ।

३. बांग्लादेश में होनेवाली गायों की तस्करी सहित उस माध्यम से आतंकवादी कार्यवाहियों के लिए आतंकवादियों को पैसा भेजना एवं भारत में बनावटी मुद्रा भेजना ऐसी घटनाएं होती हैं । इसलिए अवैध गोतस्करी पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है ।

४. वैज्ञानिकों के मतानुसार गोमय (गाय का गोबर) कोहिनूर हीरे से भी अधिक मूल्यवान आहे; क्योंकि भूमि पर गोमय न गिरे, तो भूमि अनुपजाऊ बन सकती है ।

५. जागतिक तापमान वृद्धि के अनेक कारणों में गोहत्या भी एक कारण है । देश में एक ओर बडी मात्रा में गोवंश की हत्या की जाती है, तो दूसरी ओर दूध उत्पादन बढाने का  प्रयत्न किया जाता है । ऐसे में संतुलन कैसे बना रह सकता है ?

इस सत्र में श्री. चेतन शर्मा द्वारा किए गोरक्षा के कार्य का चलचित्र दिखाया गया ।

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