श्री लक्ष्मीनारायण सभागृह, रामनाथी (गोवा) – छठे हिन्दू अधिवेशन के प्रथम दिन के सायं सत्र में ‘हिन्दू धर्म की वैचारिक रक्षा’ इस उद्बोधन सत्र में पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा कि, इतिहास एवं संस्कृति का विकृतीकरण धीमी गति से फैलनेवाला विष है । यह हिन्दू समाज पर दूरगामी भयावह परिणाम करता है । ज्ञानशक्ति सर्वश्रेष्ठ शक्ति है, जिसका परिणाम राष्ट्रहित में अधिक कालावधि के लिए होता है । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार हिन्दूद्रोही विचारों का खंडन करने हेतु योगदान देना चाहिए । यह काल की आवश्यकता है । यही विचारसंघर्ष संपूर्ण हिन्दू समाज में हिन्दू राष्ट्र की विचारधारा लानेवाला साबित होगा ।
वैचारिक आक्रमणों का प्रतिकार करने हेतु प्रत्येक को हिन्दू धर्म के प्रवक्ता के रूप में वैचारिक धर्मयोद्धा बनना चाहिए । यहां उपस्थित संगठनों को हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने आवाहन किया कि प्रत्येक संगठन आनेवाले वर्ष में २० धर्मप्रवक्ता बनाने का उद्देश्य रखे । वे हिन्दू धर्म के वैचारिक आक्रमणों से रक्षा के उद्बोधन सत्र का सार प्रस्तुत कर रहे थे । इस सत्र में हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता डॉ. उदय धुरी, ब्रेनवॉश रिपब्लिक पुस्तक के लेखक श्री. मुनीश्वर सागर, भारत रक्षा मंच के श्री. अनिल धीर एवं ‘सिक्स्थ न्यूज’ तेलुगु वाहिनी के संपादक श्री. भरतकुमार शर्मा ने मार्गदर्शन किया ।