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कन्हैयाकुमार जैसी राष्ट्रविरोधी प्रवृत्ति ‘एन.सी.ई.आर.टी.’ जैसी संस्थाआें का फल – नीरज अत्री, नैशनल सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च एंड कम्पेरिटिव स्टडी

श्री. नीरज अत्री, ‘नॅशनल सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च अँड कम्पॅरिटिव्ह स्टडी’

रामनाथी (गोवा) – यहां हो रहे अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में ‘लोकतंत्र की निरर्थकता’ संबंधी उद्बोधन सत्र में  ‘नॅशनल सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च अँड कम्पॅरिटिव्ह स्टडी’ के श्री. नीरज अत्री ने कहा कि, बुद्धिभेद करनेवाले इतिहास का विकृतीकरण इस विषय पर बोले, राष्ट्रीय एवं शैक्षणिक संशोधन परिषदे के (एन.सी.ई.आर.टी.के) माध्यम से इस देश की संस्कृति नष्ट करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है । इतिहास की पुस्तकों से बताया जा रहा है ऋग्वेद से दासप्रथेचा (गुलामों की प्रथा) आरंभ हुई ।अहिन्दू पंथों के विषय में झूठी जानकारी देकर उस विषय में एक सहानुभूती निर्माण की गई है । ऐसी पढाई के कारण ही कन्हैयाकुमार जैसे विद्यार्थी तैयार होते हैं और देशविरोधी कृत्यों में सहभागी होते हैं । इसे रोकने के लिए हमें सूचना अधिकार का प्रभावी उपयोग करना चाहिए । हमने ऋग्वेद के विषय में एन.सी.ई.आर.टी. से सूचना अधिकार के अंतर्गत जानकारी मंगवाई । उन्होंने बताया कोई संदर्भ नहीं है । तदुपरांत हमने उच्च न्यायालय की शरण ली । न्यायालय केबताए अनुसार हमने जेएनयू से पूछा, तो उन्होंने हमारे आक्षेपों का झूठा उत्तर देते हुए कहा कि उसमें तथ्य नहीं; पर हमने उस विषय में प्रमाण एकत्र कर ब्रेनवॉश्ड रिपब्लिक नामक ग्रंथ लिखा ।

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