षष्ठ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन का द्वितीय दिवस
रामनाथी (गोवा) – ‘धर्मनिरपेक्षता की निरर्थकता’ इस विषय पर बोलते हुए डॉ. नील माधव दास ने कहा कि,
१. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-काश्मीर और दक्षिण के कुछ राज्य यहां मुसलमान राजनीतिक दृष्टि से मुख्य भूमिका निभा रहे हैं ।
२. देश के किसानों सर्वाधिक आत्महत्या कर रहे हैं, तब भी केंद्रशासन वर्तमान में मुसलमानों को धर्मनिरपेक्षता के नामपर ५०० करोड रुपए विविध योजनाआें एवं अनुदान से दे रही है । मुसलमानों को दी जानेवाली ये सुविधाएं केंद्र में भाजपा शासन आने पर न्यून होंगी, ऐसा लगा था; परंतु वैसा न होकर उन सुविधाआें में वृद्धि हुई । इसका कारण है धर्मनिरपेक्षता !
३. धर्मनिरपेक्षता के राज में ‘हिन्दू’ कहना ‘सांप्रदायिक’ होता जा रहा है ।
४. धर्मनिरपेक्षता घातक है । इससे मुसलमान, ईसाई और साम्यवादी एकजुट हो रहे हैं और उसके माध्यम से सुविधाएं लूट रहे हैं । ये तीनों अपनी शक्ति बढाकर हिन्दू धर्म समाप्त करने का षड्यंत्र रच रहे हैं ।
५. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ‘इस्लामी राष्ट्र’ घोषित करने का प्रयास किया जा रहा है, हम सभी को ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने के लिए कठोर परिश्रम करना पडेगा । आज के काल साम्यवाद और धर्मनिरपेक्षता इन दोनों शब्दों का कोई अर्थ नही रहा ।
डॉ. नील माधव दास का परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले जी के प्रति भाव
उद्बोधन सत्र मेें डॉ. नील माधव दास ने मार्गदर्शनाला प्रारंभ करते समय कहा ‘परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी के चरणों में नमस्कार कर मार्गदर्शन आरंभ करता हूं ।’ तदुपरांत उन्होंने उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों का मार्गदर्शन किया ।