विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी (गोवा) : ‘पनून कश्मीर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय च्रोंगू ने प्रतिपादित किया कि वर्ष १९४७ में पाक भारत से अलग हो गया तथा उसके पश्चात उसने भारत पर आक्रमण किया । पाकव्याप्त कश्मीर अपने नियंत्रण में लिया । अर्थात अब यदि कश्मीर भारत से अलग हुआ, तो वह भारत का तीसरा विभाजन होगा । उसकी तैयारी स्वरूप हिन्दूबहुल जम्मू के हिन्दुआें को योजनाबद्ध पद्धति से हटाने के प्रयास चल रहे हैं । यह ऐसा ही चलता रहा, तो देशभर में छोटे-छोटे कश्मीर बनने में समय नहीं लगेगा और देश का और विभाजन होगा । इस विषैले जिहादी आतंकवाद तथा विघटनवाद पर विजय प्राप्त कर देश का अखंडत्व बनाए रखने के लिए ‘पनून कश्मीर’ की स्थापना ही एकमात्र मंत्र है । षष्ठ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के १५ जून को संपन्न ‘कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वसन’ से संबंधित उद्बोधन सत्र में वे बोल रहे थे ।
श्री. च्रोंगू ने आगे कहां कि,
१. अफगानिस्तान, पाकिस्तान के पश्चात अब कश्मीर से हिन्दुआें का वंशविच्छेद करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है । वर्ष १९९० में उसका केवल अंशात्मक भाग कार्यान्वित किया गया था ।
२. ‘जब वंशविच्छेद की घटना घटती है और उसकी अनदेखी की जाती है, तब बार- बार वंशविच्छेद का सामना करना पडता है’, यह तत्त्व है । इसलिए हिन्दुआें के इस वंशविच्छेद का स्पष्ट उत्तर देने के लिए कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वसन सम्मान सहित होना ही चाहिए ।
३. जम्मू के कट्टरपंथी आत्मविश्वास से कहते हैं कि, २-४ वर्षों में वहां से हिन्दुआें को भगा दिया जाएगा । वहां भी हिन्दुआें को दबाने के प्रयास चल रहे हैं।
४. यह रोकने के लिए हिन्दुआें का वहां उनकी अचल संपत्ति सहित पुनर्वसन होना चाहिए । संक्षेप में यदि ‘पनून कश्मीर’ बन जाए, तो वह इस देश की संस्कृति की रक्षा तथा अखंडता के लिए उत्प्रेरक का कार्य करेगा ।
हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा देशभर में ‘पनून कश्मीर’ के संबंध में किया प्रबोधन भारत की अखंडता का नया अध्याय ! – डॉ. अजय च्रोंगू
श्री. अजय च्रोंगू ने कहां कि, ‘‘पनून कश्मीर’ का महत्त्व भारत में हम अनेकों को समझाते थे; परंतु वह सर्वप्रथम यदि किसी ने समझा हो, तो वह केवल हिन्दू जनजागृति ने समझा । समिति ने जिस पद्धति से देशभर में प्रबोधन किया तथा इसके साथ ही ‘एक भारत अभियान’ के माध्यम से जागृति की, वह एक भारत की अखंडता का नया अध्याय है ।