विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी (गोवा) – ‘मंदिर सरकारीकरण के विरोध में कानूनी मार्ग से संघर्ष कैसे करें ?’ इस विषय पर षष्ठ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में हुए उद्बोधन सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री. साई दीपक बोले कि, तमिलनाडु के ३८ हजार से अधिक मंदिर शासन ने अधिग्रहित किए हैं । इसका उद्देश्य था आर्य ब्राह्मणों की संपत्ति और उनकी संख्या न्यून करना । १९ वें शतक में वहां ब्राह्मणों की संख्या ६ प्रतिशत थी, वह अब ०.५ प्रतिशत रह गई है । मंदिरों के सरकारीकरण के लिए हिन्दू ही सर्वाधिक उत्तरदायी हैं । मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करना हो, तो केवल न्यायालयीन संघर्ष पर्याप्त नहीं है, अपितु जनता को शासन पर दबाव बनाना चाहिए । इस देश में धर्मनिरपेक्षतावाद है तथा उसके विरोध में हमें विविध युक्तियों से संघर्ष करना पडेगा । समाज के अधिकाधिक लोगों को धर्मरक्षा के लिए प्रेरित करना पडेगा । मंदिर धर्म का मूल केंद्र है । इसलिए उसे पुनः हिन्दुआें के हाथों में लेने के लिए प्रयास करने चाहिए ।