अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन का दूसरा दिन
मंदिर सरकारीकरण का विरोध कर उनकी पवित्रता बनाए रखने के लिए वैधानिक मार्ग से आंदोलन करने का हिन्दुत्वनिष्ठों का संकल्प
स्वधर्म, स्वभाषा और स्वराष्ट्र की रक्षा करना आवश्यक है । उसके लिए प्रयास करने चाहिए । विदेशी भाषा स्वीकारकर हम गुलामी ही स्वीकारते हैं और ऐसी मानसिक गुलामी वर्तमान में अधिक है । इसलिए स्वभाषा सीखकर स्वसंस्कृति की रक्षा करना आवश्यक है, एेसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिती के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारूदत्त पिंगळे ने किया ।
विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी (गोवा) – अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में सम्मिलित हिन्दुत्वनिष्ठों ने संकल्प किया कि देशभर में हिन्दुत्वनिष्ठ मंदिर सरकारीकरण का विरोध कर उसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए वैधानिक मार्ग से आंदोलन करेंगे । १५ जून को अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में मंदिर सरकारीकरण का विरोध और मंदिरों की पवित्रता की रक्षा, इस विषय पर आयोजित उद्बोधन सत्र में यह संकल्प किया गया ! इस सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री. साई दीपक, लखनऊ के हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस नामक संस्था के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. हरि शंकर जैन, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, बंगाल के हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. बिकर्ण नासकर, ओडिशा भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर, अधिवक्ता अर्चना जी. तथा हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकरजी ने हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित किया ।
‘मंदिरों के सरकारीकरण का विरोध और मंदिरों की पवित्रता की रक्षा’ इस उद्बोधन सत्र में अन्य वक्ताआें का मार्गदर्शन
४. पुरातत्व विभाग का अबतक का आचरण हिन्दूविरोधी – श्री. अनिल धीर, भारत रक्षा मंच
उद्बोधन सत्र में पारित प्रस्ताव
१. हिन्दुओं की मोक्षभूमि काशी और भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में अतिक्रमण कर बनाई गई मस्जिदें तत्काल हटाकर यह भूमि हिन्दुआें को सौंपी जाए ।
२. धार्मिक स्थल कानून (विशेष प्रावधान) तत्काल हटाया जाए ।
३. मंदिर अधिग्रहण से संबंधित सभी कानून तत्काल निरस्त किए जाएं ।
४. भक्तों को धर्मशिक्षा देने हेतु सभी मंदिरों के पुजारियों को धर्मशिक्षा देने की विशेष योजना प्रारंभ करें ।