![](https://www.hindujagruti.org/marathi/wp-content/uploads/sites/9/2017/06/anandPatil.jpg)
श्री विद्याधिराज सभागृह (रामनाथी) : षष्ठ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में १६ जून को ‘लोकतंत्र में फैली दुष्प्रवृत्तियों का निर्मूलन’ इस विषय के उद्बोधन सत्र में वे मार्गदर्शन करते हुए श्री. आनंद पाटील ने कहां कि, भारत को ‘रामराज्य’, सम्राट युधिष्ठिर का ‘धर्मराज्य’ और छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दवी स्वराज्य’, आदि आदर्श राजकीय व्यवस्थाआें की परंपरा है; परंतु वर्तमान में राज्यव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस और अन्य सभी व्यवस्थाआें में भ्रष्टाचार बढ रहा है । कार्य और व्यवसाय करते समय इन दृष्पप्रवत्तियों के कारण अनेक बाधाआें का सामना करना पडता है । सामान्य व्यक्ति भी अधर्माचरण, धर्मनिरपेक्षतावाद के कारण उस व्यवस्था का एक घटक बनता जा रहा है । ‘यह राष्ट्र मेरा है, यह मेरी मातृभूमि है और मैं समाज का एक घटक हूं’, इस दृष्टि से सामाजिक कर्तव्य के लिए इस भ्रष्ट व्यवस्था के विरोध में खडे रहकर वैध मार्ग से संघर्ष करना चाहिए ।