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हिन्दुआें का दमन रोकने के लिए हिन्दुआें की सांप्रदायिक एकता अपरिहार्य ! – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे

श्री विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी, गोवा : किसी हिन्दू संत अथवा संगठन पर अन्याय होता है, उस समय ‘वह केवल उस एक व्यक्ति पर अथवा व्यक्ति समूह को प्रभावित करता है’, ऐसा नहीं है । ऐसी घटना संपूर्ण हिन्दुत्व के क्षेत्र को प्रभावित करती है । हिन्दू विरोधी गुटों को इससे बल मिलता है । इसलिए सर्व क्षेत्रों में हो रहा हिन्दुआें का दमन रोकने के लिए हिन्दुआें में सांप्रदायिक एकता अपरिहार्य है, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । वे १६ जून को सायंकाल के ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु सांप्रदायिक एकता’ इस संदर्भ में समांतर सत्र का सार प्रस्तुत कर रहे थे । इस समय ‘लष्कर-ए-हिन्द’ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पू. बाबा फलाहारी महाराज, डासना, उत्तरप्रदेश के सिद्धपीठ  श्री प्रचंड चंडीदेवी मंदिर की यति मां चेतनानंद सरस्वती तथा जोधपुर, राजस्थान के रामस्नेही संत श्री हरिराम शास्त्री ने भी मार्गदर्शन किया ।

पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

पू. डॉ. पिंगळेजी ने आगे कहा . . .

१. किसी हिन्दू संगठन अथवा संत पर अन्याय होने पर देशभर के हिन्दू संगठनों को इसके विरुद्ध आंदोलन करना चाहिए । इस संदर्भ में शासन को निवेदन देने जैसे वैध कृत्य हम अवश्य कर सकते हैं ।

२. ऐसे अन्याय के विरुद्ध हमें हस्ताक्षर अभियान चलाकर अथवा पत्रकार परिषद लेकर देशभर के हिन्दू संबंधित संत अथवा संगठन के साथ हैं, यह दिखा देना चाहिए ।

३. याद रखिए, यह ‘धर्म’ विरुद्ध ‘अधर्म’ का युद्ध है, हमें संगठित रूप से अधर्म को पराजित करना है ।

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु सांप्रदायिक एकता’ इस सत्र में अन्य वक्ताआें के मार्गदर्शन

१. हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संत एकत्र हों ! – पू. बाबा फलाहारी महाराज

२. धर्म के लिए कितनी भी बार कारागृह जाने को तैयार हूं ! – यति मां चेतनानंद सरस्वती

३. ‘भारत हिन्दू है’ और ‘हिन्दू भारत हैं’ ! – संत श्री हरिराम शास्त्री

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