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‘ऐतिहासिक ‘हातकातरो’ खंबे का संवर्धन करें !’ – गोवा क्रांतिदिन के अवसर पर हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा की गई मांग

गोवा शासन तथा पुरातत्व विभाग ने यदि ‘हातकातरो’ खंबे की ओर अनदेखा किया, तो हिन्दूत्वनिष्ठ पुरे देश में आंदोलन का निर्णय अपनाएंगे !

पणजी : १८ जून को अर्थात गोवा क्रांतिदिन के उपलक्ष्य में आेल्ड गोवा के पोर्तुगीज सत्ता के ‘इन्क्विजिशन’ अत्याचारों के समय बलिदान देनेवाले गोमंतकीय हिन्दुओं की अस्मिता का प्रतिक रहे ‘हातकातरो’ खंबे के (inquisition pillar) स्थल पर श्रद्धांजली का कार्यक्रम गोवा के स्थानीय राष्ट्रप्रेमी, पूरे देश के हिन्दूत्वनिष्ठ संघटनों के प्रतिनिधी तथा हिन्दू जनजागृति समिति ने आयोजित किया था। उस कार्यक्रम में सभी हिन्दुओं ने उस खंबे को मानवी शृंखला कर यह मांग की कि, ‘इस हातकातरो खंबे की ऐतिहासिक पुरातन वास्तु के रूप में प्रविष्टि कर उसका त्वरित संवर्धन करें !’

उस समय उपस्थितों ने ‘इन्क्विजिशन’ अत्याचार में बलिदान देनेवाले गोमंतकीय हिन्दुओं को विनम्र अभिवादन कर श्रद्धांजली अर्पण की।

आंदोलन में उपस्थित, देश के विभिन्न राज्यों से आये हुए हिन्दूत्वनिष्ठ संघटनों के प्रतिनिधी

उस समय गोवा के इतिहास अभ्यासक तथा ‘गोवा हेरिटेज अॅक्शन ग्रुप’ के उपाध्यक्ष प्रा. प्रजल साखरदांडे, भारत स्वाभिमान के गोवा प्रभारी श्री. कमलेश बांदेकर, ‘वन्दे मातरम्’ साखळी संघटन के श्री. समीर गांवस, हिन्दू धर्माभिमानी श्री. रामकृष्ण कामत, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, समिति के महाराष्ट्र राज्य संघटक श्री. सुनील घनवट, हिन्दू विधीज्ञ परिषद के गोवा राज्य सचिव अधिवक्ता श्री. नागेश ताकभाते, हिन्दू जनजागृति समिति के गोवा राज्य समन्वयक डॉ. मनोज सोलंकी, श्री. जयेश थळी, शिवसेना के श्री. माधव विर्डीकर आदि उपस्थित थे।

शासन को हिन्दुओं के बलिदान का प्रतिक मिटाने नहीं देंगे ! – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने अपने वतव्य में यह चेतावनी दी कि, ‘वर्ष २००६ तक शासन ने पुराने कागदपत्रों में उल्लेखित हातकातरो खंबे के संदर्भ की जानकारी हटाने का प्रयास बडी आसानी से किया है। स्वाभिमानी हिन्दुओं के बलिदान का प्रतिक माने जानेवाले इस खंबे की ओर हेतुपुर:स्सर अनदेखा किया जा रहा है। हमारे पूर्वजों के बलिदान का इतिहास हम मिटाने नहीं देंगे ! यदि गोवा शासन ने इस खंबे का संवर्धन नहीं किया, तो पूरे देश में हिन्दू आंदोलनों का आयोजन करेंगे तथा इस खंबे की सुरक्षा के संदर्भ में निर्णय लेंगे !’

उस समय श्री. शिंदे ने एक ऐसा प्रश्न भी उपस्थित किया कि, ‘क्या यह आश्चर्यकारक बात नहीं है कि, १०० वर्ष पूर्ण हुए वास्तू को संरक्षित वास्तुओं की सूचि में डालकर उनके पुर्ननिर्माण के कार्य मे बाधाएं उत्पन्न करनेवाले प्रशासन की इस १३ वे शतक में स्थापित इस स्तंभ का संवर्धन करने की इच्छा ही नहीं है ?’

श्री. जयेश थळी ने उपस्थितों को क्रांतिदिन का महत्त्व बताकर इस आंदोलन का उद्देश्य स्पष्ट किया। प्रा. प्रजल साखरदांडे ने इस खंबे के ऐतिहासिक महत्त्व के संदर्भ में जानकारी देते समय ऐसा कहा कि, ‘कदंब राजकाल के श्री सप्तकोटेश्वर मंदिर के तोडे गए इस खंबे का उपयोग हिन्दुओं को, साथ ही अपराधियों को दंड देने हेतु किया जा रहा था; इसलिए इस खंबे का उल्लेख ‘हातकातरो खंबा’ ऐसा किया जाता था। आज भी इस खंबे पर कन्नड भाषा में लिखा गया शिलालेख है !’ प्रा. साखरदांडे ने जानकारी बताते समय ऐसी मांग भी की कि, ‘आजतक दो बार वाहनों ने इस खंबे को टक्कर देने के कारण चबुतरे को हानि पहुंची है।

भविष्य में इस प्रकार की किसी भी दुर्घटना घटने से पूर्व शासन ने इस खंबे का संवर्धन करना चाहिए !’

हातकातरो खंबे के संवर्धन हेतु गोवा के क्रांतिदिन पर पूरे देश के हिन्दूत्वनिष्ठों को संघटित करनेवाली हिन्दू जनजागृति समिति के साथ ही पूरे देश से उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों का भारत स्वाभिमान के श्री. कमलेश बांदेकर ने प्रंशसा कर आभार व्यक्त किए। श्री. बांदेकर ने आगे कहा कि, ‘हमारे स्वातंत्र्य वीरों ने अपना खून सिंचकर इस भूमि की रक्षा की है। ‘इसिस’के आतंकवादियो की क्रूरता को भी न्यून सिद्ध करनेवाले पोर्तुगीजों ने यहां के हिन्दुओं पर बड़ी मात्रा में अत्याचार किए हैं। अधिकांश ईसाईयों को भी इस बात का पता है कि, अपने पूर्वज हिन्दू थे तथा उनपर पोर्तुगीजों ने अत्याचार किए हैं। अपने पूर्वजों के बलिदान के स्मारक का संवर्धन करने के लिए पूरे देश के हिन्दू संघटित हुए है, आज का यह दिन सुवर्णाक्षरों में लिखा जाना चाहिए !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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