एक महान हिन्दू राजा दाहिर, जिसने ३२ साल तक मोहम्मद बिन कासिम को सिन्ध से ही आगे नहीं बढने दिया ।
पश्चिम में एक कहावत है कि ‘पहले शत्रू को बुरा नाम दो और फिर उसे मार दो l’ यह ऐसा कुछ ही मुस्लिम इतिहासकारों ने किया l उन्होंने सिंध के आखिरी हिन्दू राजा को बदनाम करने में कोई कसर नही छोड़ी l क्यूंकि उस हिन्दू राजा ने ३२ साल तक उनको आगे नहीं बढ़ने दिया l
उन्होंने पुष्करणा ब्राह्मण राजा को बदनाम करने के लिए अपनी ही बहन से विवाह करने के मनगढंत किस्से लिखने शुरू किये l अब अगर कोई हिन्दू धर्म को समझता है तो वो समझ सकता है कि अपनी ही बहन से विवाह करना हिन्दू धर्म की नही दुसरे धर्मों की प्रथा है l और ये मुस्लिम इतिहासकारों का सफेद झूठ था उनको आने वाले समय में बदनाम करने के लिए l
उन इतिहासकारों ने एक और झूठ फैलाया कि ये महान हिन्दू राजा हर रात को एक नवयौवना (कुंवारी लड़की) का बलात्कार करता था l और ३२ साल तक राजधर्म का पालन करने वाले राजा के बारे में ये भी महज़ एक झूठ था l
हिन्दू इतिहास पर गौर किया जाए तो पुण्य सलिला सिंध भूमि वैदिक काल से ही वीरों की भूमि रही है । वेदों की ऋचाओं की रचना इस पवित्र भूमि पर बहने वाली सिंधु नदी के किनारों पर हुई । इसी पवित्र भूमि पर पौराणिक काल में कई वीरों व वीरांगनाओं को जन्म दिया है l जिनमें त्रेता युग में महाराज दशरथ की पत्नी कैकेयी और द्वापर युग में महाराजा जयदरथ का नाम भी शामिल है l
महाराजा दाहिर को ७ राज्य की सता संभालते समय ही कई प्रकार के विरोधों का सामना करना पड़ा । उस समय गुर्जर, जाट और लोहाणा समाज उनके पिता द्वारा किए गए शासन से नाराज थे तो ब्राह्मण समाज बौद्ध धर्म को राजधर्म घोषित करने के कारण नाराज थे । मगर राजा दाहिर ने सभी समाजों को अपने साथ लेकर चलने का संकल्प लिया । आगे चलकर महाराजा दाहिर ने सिंध का राजधर्म सनातन हिन्दू धर्म को घोषित कर ब्राह्मण समाज की भी नाराजगी दूर कर दूरदर्शिता का परिचय दिया ।
दाहिर की पत्नी ने कई दूसरी औरतों के साथ जौहर कर लिया ताकि कोई भी अरबी उनके मृत शरीर से भी बलात्कार न कर सके l
राजा दाहिर एक महान हिन्दू शासक थे जिहोने युद्ध क्षेत्र में लड़ते हुए प्राण न्योछावर किये l उनकी सुंदर बेटियों को इस्लामी परंपरा के तहत युद्ध में लूट के रूप में कब्जा लिया गया l मुहम्मद बिन कासिम ने उनकी बेटियों को उस समय के खलीफा सुलेमान बिन अब्द अल मलिक के सामने उपहार के रूप में भेजा l
अंत में उनकी ही बेटियों ने पहले सूझ बुझ और अक्लमंदी से खलीफा के हाथों मुहम्मद बिन कासिम को मरवा कर अपना बदला लिया और बाद में खुद को खलीफा से बचाते हुए एक दुसरे को ही मार दिया l
स्त्रोत : हिन्दू महासभा